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Up Kiran, Digital Desk: भारत की 'सिलिकॉन वैली' कहे जाने वाले बेंगलुरु में युवा उद्यमियों (Young Entrepreneurs) और नए आइडियाज को पंख देने के लिए एक बड़ी पहल की गई है। यहां एक 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' (CoE) की शुरुआत की गई है, जिसका एकमात्र मकसद नए और छोटे स्टार्टअप्स को हर तरह की मदद देकर उन्हें बड़ी कंपनियों में बदलना है।

यह सेंटर उन सभी लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं ,जिनके पास एक बेहतरीन आइडिया तो है, लेकिन उसे हकीकत में बदलने के लिए सही मार्गदर्शन, पैसा और सुविधाएं नहीं हैं।

क्या है यह 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' और यह कैसे काम करेगा?

यह सिर्फ एक आलीशान ऑफिस बिल्डिंग नहीं है, बल्कि यह एक पूरा इकोसिस्टम है, जिसे स्टार्टअप्स को "इन्क्यूबेट" (शुरुआती स्तर पर पालने) और "एक्सीलरेट" (तेजी से आगे बढ़ाने) के लिए डिजाइन किया गया है। आसान भाषा में कहें तो:

इन्क्यूबेट (Incubate): अगर आपके पास सिर्फ एक आइडिया है, तो यह सेंटर उसे एक असली बिजनेस प्लान में बदलने में मदद करेगा।

एक्सीलरेट (Accelerate): अगर आपका स्टार्टअप पहले से ही चल रहा है लेकिन उसे आगे बढ़ने में मुश्किल आ रही है, तो यह सेंटर उसे रॉकेट की रफ्तार देने का काम करेगा।

इस सेंटर को विशेष रूप से एफिशिएंसी और ऑटोमेशन (Efficiency and Automation) के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स पर फोकस करने के लिए बनाया गया है। यानी ऐसे स्टार्टअप जो किसी भी काम को करने के तरीके को और बेहतर, तेज और आसान बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं।

एक स्टार्टअप को यहां क्या-क्या मिलेगा?

यह सेंटर एक 'ऑल-इन-वन' पैकेज की तरह है, जहां एक ही छत के नीचे स्टार्टअप्स को वो सब कुछ मिलेगा, जिसकी उन्हें जरूरत है:

शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर: काम करने के लिए वर्ल्ड-क्लास ऑफिस स्पेस और लैब की सुविधा।

टॉप एक्सपर्ट्स से मार्गदर्शन: इंडस्ट्री के सबसे बड़े और अनुभवी लोग (Mentors) खुद इन स्टार्टअप्स को बिजनेस चलाने के गुर सिखाएंगे।

फंडिंग में मदद: निवेशकों (Investors) से पैसा जुटाने में पूरी मदद की जाएगी, जो कि किसी भी स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है।

मार्केट तक पहुंच: अपने प्रोडक्ट या सर्विस को सही ग्राहकों तक कैसे पहुंचाया जाए, इसकी पूरी रणनीति बनाने में सहयोग मिलेगा।

इस पहल का लक्ष्य कर्नाटक को न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के टॉप स्टार्टअप हब के रूप में और मजबूती से स्थापित करना है। यह सेंटर नई टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देगा, हजारों नौकरियां पैदा करेगा और भारत के युवाओं को 'जॉब सीकर' (नौकरी ढूंढने वाला) की जगह 'जॉब क्रिएटर' (नौकरी देने वाला) बनने के लिए प्रेरित करेगा।