
Up Kiran, Digital Desk: भारत और चीन के बीच सीमा पर चल रहे गंभीर तनाव और दुनिया भर में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच एक बहुत बड़ी ख़बर सामने आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 31 अगस्त को चीन के तियानजिन शहर में एक द्विपक्षीय बैठक करने वाले हैं। यह मुलाक़ात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन से ठीक पहले होगी, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
यह बैठक इसलिए भी बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि पिछले काफ़ी समय से दोनों देशों के बीच रिश्ते निचले स्तर पर बने हुए हैं। लद्दाख में सीमा विवाद के बाद से दोनों नेताओं के बीच कोई औपचारिक द्विपक्षीय मुलाक़ात नहीं हुई है। ऐसे में इस बैठक को रिश्तों पर जमी बर्फ़ को पिघलाने की एक बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
क्यों है यह मुलाक़ात इतनी ख़ास?
सीमा विवाद: बैठक में सबसे बड़ा मुद्दा पूर्वी लद्दाख में चल रहा सीमा विवाद ही रहने की उम्मीद है। दोनों नेता सैन्य तनाव को कम करने और बचे हुए मसलों को सुलझाने पर बात कर सकते हैं।
SCO समिट से पहले: यह बैठक SCO समिट के ठीक पहले हो रही है, जो 1 और 2 सितंबर को आयोजित की जाएगी। इस बैठक का सीधा असर समिट के माहौल पर भी देखने को मिलेगा।
बदलता वैश्विक समीकरण: एक तरफ अमेरिका में ट्रंप की वापसी की आहट है तो दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है। ऐसे में एशिया की दो सबसे बड़ी ताक़तों का मिलना अपने आप में एक बड़ा संकेत है।
क्या हैं बैठक के एजेंडे:सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सीमा विवाद के अलावा व्यापार, आपसी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे की भूमिका जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। भारत लगातार चीन के साथ अपने बढ़ते व्यापार घाटे का मुद्दा उठाता रहा है। उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी इस बैठक में भी इस मसले को उठा सकते हैं।