
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ वित्तीय विवेक और बैंकिंग क्षेत्र से मिलने वाली मजबूत सहायता इसे विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। एक ताजा रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि सेक्टर में अब पहले से कहीं अधिक अनुशासन और पूंजी का प्रवाह देखने को मिल रहा है।
रियल एस्टेट क्षेत्र में वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। नियामक निकाय जैसे कि रियल एस्टेट एक्ट (RERA) ने डेवलपर्स के लिए कड़े नियम बनाए हैं, जिससे परियोजनाओं में देरी और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आई है। इस सुधरे हुए माहौल ने निवेशकों और खरीदारों दोनों का विश्वास बढ़ाया है, क्योंकि अब उन्हें अपने निवेश की सुरक्षा का अधिक भरोसा है।
इस बढ़ते विश्वास का सीधा परिणाम बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण में भी दिखाई दे रहा है। बैंकों का रियल एस्टेट सेक्टर को दिया जाने वाला ऋण तेजी से बढ़ा है। यह दर्शाता है कि वित्तीय संस्थान अब इस क्षेत्र को कम जोखिम वाला और अधिक निवेश-योग्य मान रहे हैं।
रियल एस्टेट कंपनियों की वित्तीय सेहत में सुधार और एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) के स्तर में कमी ने बैंकों को अधिक उदारता से ऋण देने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस पूंजी तक आसान पहुँच से डेवलपर्स नई परियोजनाओं को शुरू करने और मौजूदा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में सक्षम हो रहे हैं।
यह सकारात्मक रुझान केवल आवासीय खंड तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वाणिज्यिक (जैसे कार्यालय और खुदरा स्थान) और औद्योगिक (जैसे वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स) रियल एस्टेट में भी मजबूती देखी जा रही है।
भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर एक सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहाँ वित्तीय स्थिरता, नियामक समर्थन और पूंजी की उपलब्धता इसके सतत विकास की रीढ़ बन रही है। यह न केवल बिल्डरों और निवेशकों के लिए, बल्कि देश की समग्र अर्थव्यवस्था और लाखों घर खरीदारों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।
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