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Up Kiran, Digital Desk: ये बात आपने अक्सर सुनी होगी कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में लंबी उम्र जीती हैं। अगर आप अपने आसपास भी देखें, तो शायद आपको कई ऐसी महिलाएं मिल जाएंगी जिनकी उम्र पुरुषों से ज़्यादा है। ये सिर्फ एक संयोग नहीं है; जीवन प्रत्याशा पर हुए कई अध्ययनों ने इस बात की पुष्टि की है।

भारत में महिलाएं, पुरुषों से ज़्यादा क्यों जीती हैं

भारत के संदर्भ में भी ये तथ्य सामने आया है कि महिलाएं औसतन पुरुषों से ज़्यादा जीती हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की 'इंडिया एजिंग रिपोर्ट' में इस पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट बताती है कि 60 साल की उम्र के बाद महिलाओं की जीवन प्रत्याशा (यानी औसत जीवित रहने की उम्मीद) 20 साल से भी ज़्यादा होती है।

ये ट्रेंड हमें कई राज्यों में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, केरल, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में 60 साल की उम्र के बाद महिलाएं पुरुषों से औसतन 20 साल ज़्यादा जीती हैं। ये वाकई एक दिलचस्प आंकड़ा है, जो सामाजिक, जैविक और स्वास्थ्य संबंधी कई पहलुओं को उजागर करता है।

हालांकि, इस सामान्य ट्रेंड में एक अपवाद भी है और वो है झारखंड। इस राज्य में महिलाओं की औसत जीवन प्रत्याशा पुरुषों की तुलना में थोड़ी कम है। आंकड़ों को देखें तो, 2016 से 2020 के बीच पुरुषों की औसत जीवन प्रत्याशा बढ़कर 70.5 साल हो गई थी, वही महिलाओं की 68.9 साल थी। 2017 से 2021 के बीच भी पुरुषों की औसत जीवन प्रत्याशा 69.5 साल रही, वहीं महिलाओं की 69.6 साल।

झारखंड में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा कम होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, पोषण, प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ और सामाजिक-आर्थिक कारक शामिल हैं। ये दर्शाता है कि लैंगिक जीवन प्रत्याशा का पैटर्न विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न हो सकता है और इसके लिए स्थानीय परिस्थितियों का विश्लेषण ज़रूरी है।

 

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