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Up Kiran, Digital Desk: सोचिए अगली बार जब आप लिफ्ट में किसी से मिलें या मोहल्ले की दुकान पर खड़े हों। संभावना है कि चार में से एक व्यक्ति मोटापे की गिरफ्त में हो। नई रिपोर्ट बताती है कि भारत के 25 प्रतिशत से ज्यादा वयस्क अब मोटापे या अधिक वजन का शिकार हैं। यह आंकड़ा तीस साल पहले के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है। खासकर दिल्ली जैसे शहरों में हर दूसरी महिला और हर पांचवां बच्चा (6-16 साल) इस समस्या से जूझ रहा है।

घर में दोनों पति-पत्नी मोटापे की चपेट में

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 27.4 प्रतिशत भारतीय दंपत्तियों में पति और पत्नी दोनों का वजन जरूरत से ज्यादा है। इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ता है। महाराष्ट्र से मेघालय तक हर राज्य में हालात अलग हैं लेकिन ट्रेंड एक ही है। शहर हो या गांव मोटापा तेजी से पैर पसार रहा है।

अर्थव्यवस्था पर 28.9 अरब डॉलर का सालाना बोझ

मोटापा सिर्फ कमर नहीं बढ़ाता बल्कि देश की जेब भी ढीली कर रहा है। हर साल इलाज और उत्पादकता के नुकसान में 28.9 अरब अमेरिकी डॉलर यानी जीडीपी का करीब एक प्रतिशत खर्च हो रहा है। हेल्थकेयर सिस्टम पर दबाव इतना बढ़ गया है कि दुनिया भर में पिछले बीस साल में स्वास्थ्य खर्च दोगुना हो चुका है लेकिन लोग उतने साल स्वस्थ नहीं रह पा रहे।

बच्चों पर सबसे बड़ा खतरा

दिल्ली में हर पांचवां स्कूल जाने वाला बच्चा मोटापे का शिकार है। 22.8 प्रतिशत की यह दर देश में सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर अभी नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी बीमारियों के बोझ तले दब जाएगी। डायबिटीज हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां बचपन से ही दस्तक देने लगेंगी।

दुनिया में हर दूसरा व्यक्ति 2050 तक हो सकता है मोटापे का शिकार

1990 से अब तक वैश्विक मोटापे की दर दोगुनी हो चुकी है। दुनिया में करीब एक अरब लोग इसकी चपेट में हैं। अगर यही रफ्तार रही तो 2050 तक आधे से ज्यादा वयस्क मोटापे या अधिक वजन के शिकार होंगे। भारत इस दौड़ में सबसे आगे चल रहा है।