
Up Kiran, Digital Desk: अक्सर हमारे शरीर पर, खासकर हाथों-पैरों पर, नीले-बैंगनी रंग के निशान (जिन्हें नील पड़ना भी कहते हैं) बन जाते हैं. ज्यादातर समय हम यह सोचकर इसे नजरअंदाज कर देते हैं कि "शायद कहीं टकरा गए होंगे, याद नहीं." छोटी-मोटी चोट के निशान कुछ दिनों में अपने आप ठीक भी हो जाते हैं.
लेकिन, अगर आपके शरीर पर ऐसे निशान बार-बार और बिना किसी खास वजह के बन रहे हैं, तो यह बिल्कुल भी सामान्य बात नहीं है. यह आपके शरीर के एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग - लिवर - की तरफ से एक गंभीर चेतावनी हो सकती है.
नील पड़ने और लिवर का क्या है कनेक्शन?
आइए इसे बिल्कुल सरल भाषा में समझते हैं. जब हमें चोट लगती है, तो हमारा खून बहना शुरू हो जाता है. इसे रोकने के लिए हमारे खून में कुछ खास तरह के प्रोटीन होते हैं, जो मिलकर 'खून का थक्का' (Blood Clot) बनाते हैं और खून को बहने से रोकते हैं.
इन जरूरी प्रोटीन्स को बनाने का काम हमारा लिवर करता है.
अब सोचिए, अगर आपका लिवर किसी बीमारी या डैमेज की वजह से ठीक से काम नहीं कर पा रहा है, तो क्या होगा? वह खून का थक्का जमाने वाले इन जरूरी प्रोटीन्स को पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाएगा. इसका नतीजा यह होगा कि आपको हल्की सी चोट लगने पर भी आसानी से नील पड़ जाएगा, या फिर मामूली खरोंच से भी खून बहना जल्दी बंद नहीं होगा.
लिवर की खराबी के सिर्फ नील पड़ना ही नहीं, इन लक्षणों पर भी दें ध्यान:
अगर आसानी से नील पड़ने के साथ-साथ आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए:
हर समय बहुत ज़्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना.
त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया).
पेट में, खासकर दाहिनी तरफ, सूजन या दर्द होना.
पेशाब का रंग गहरा पीला या भूरा होना.
भूख न लगना और जी मिचलाना.
क्या करें: अगर आपको अपने शरीर पर बिना किसी वजह के अक्सर नील के निशान दिख रहे हैं, तो इसे मामूली समझकर टालने की गलती न करें. यह आपके लिवर की सेहत के बारे में एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है. बिना देरी किए किसी अच्छे डॉक्टर से मिलें और अपनी जांच कराएं. याद रखिए, समय पर सही इलाज आपको एक बड़ी और गंभीर बीमारी से बचा सकता है.
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