Up kiran,Digital Desk : अब उत्तराखंड के बिजलीघरों पर साइबर हमला करना या उन्हें हैक करके पूरे शहर में 'ब्लैकआउट' कर देना आसान नहीं होगा। राज्य के पावर ग्रिड को हैकर्स से बचाने के लिए एक बड़ा और जरूरी कदम उठाया गया है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इसके लिए 31.85 करोड़ रुपये के एक बड़े प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है।इस प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPCL) के सभी बिजलीघरों और वितरण प्रणाली को एक अत्याधुनिक 'साइबर किले' से लैस किया जाएगा।
अब समझिए, क्या है यह पूरा प्लान?
- साइबर सुरक्षा का किला (19.50 करोड़ रुपये):
- हैकर्स से बचाने के लिए नए और पावरफुल सर्वर लगाए जाएंगे।
- वेबसाइट और ईमेल को सुरक्षित बनाने के लिए खास सिक्योरिटी सिस्टम लगेगा।
- साइबर हमलों से निपटने के लिए नई और सख्त नीतियां बनाई जाएंगी।
- हर तार, हर खंभे का डिजिटल नक्शा (GIS मैपिंग):
- 'जीआईएस अपग्रेडेशन' का मतलब है कि अब बिजली के हर खंभे, हर तार और हर ट्रांसफार्मर की पूरी जानकारी डिजिटल मैप पर होगी।
- इससे फॉल्ट ढूंढना, मरम्मत करना और बिजली मैनेजमेंट पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज हो जाएगा।
इसके अलावा, डेटा सेंटर को सुरक्षित रखने के लिए नए सर्वर रैक और मॉनिटरिंग के लिए बड़ी डिस्प्ले स्क्रीन भी लगाई जाएंगी
लेकिन एक पेंच भी है... मंजूरी के साथ मिली है कड़ी चेतावनी
नियामक आयोग ने यह मंजूरी तो दे दी है, लेकिन साथ में UPCL को सख्त हिदायतें भी दी हैं। आयोग ने साफ कहा है कि यह मंजूरी सिर्फ एक 'विशेष परिस्थिति' में दी जा रही है और इसे भविष्य के लिए एक उदाहरण (नजीर) नहीं माना जाएगा।
आयोग ने कुछ कड़ी शर्तें भी रखी हैं:
- ठेका पाने वाली कंपनी से दाम और कम करवाने की कोशिश की जाए।
- लगातार सिस्टम की जांच हो ताकि कोई कमी न रह जाए और समय-समय पर साइबर हमले जैसी मॉक ड्रिल भी की जाए।
- सभी कर्मचारियों को इसकी ट्रेनिंग दी जाए।
- प्रोजेक्ट के लिए पैसों का इंतजाम एक महीने के अंदर करके दिखाना होगा।
- काम पूरा होते ही तुरंत कंप्लीशन रिपोर्ट जमा करनी होगी।
यह कदम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उत्तराखंड के पावर ग्रिड को 'क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर' (यानी बेहद महत्वपूर्ण ढांचा) घोषित किया गया है, जिसकी सुरक्षा में कोई भी लापरवाही नहीं बरती जा सकती।
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