भारत ने 14 मुल्कों से कर ली डील, देखता रह गया चीन!

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चीन को बॉर्डर पर तो भारत ने कई बार मुंह तोड़ जवाब दिया है। अब व्यापार के क्षेत्र में भी उसे सबक सिखाने की दिशा में भारत को बहुत बड़ी सफलता मिली है। भारत बिजनेस के मामले में काफी हद तक चीन पर निर्भर करता है।

एक मीडिया रिपोर्ट में कुछ महीने पहले तो यह भी दावा किया गया था कि भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 26% व्यापार चीन के साथ होता है। चीन दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्तियों में से एक है। ऐसा भी दावा किया जाता है कि चीन दक्षिण सागर के क्षेत्रों में दादागिरी दिखाता है और अमेरिका व पश्चिमी देशों से टक्कर लेता है।

ड्रैगन के खिलाफ 14 देशों ने बनाया गुट

इसका बड़ा कारण सिर्फ उसकी सामरिक शक्ति नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति भी है। ऐसे में चीन को कंट्रोल करने और उसे हर मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत अब आर्थिक क्षेत्र में भी नए नए कदम उठा रहा है। इस काम में भारत के साथ तमाम देश आ गए हैं। चीन पर निर्भरता कम करने के लिए बाकायदा कई देशों का एक गुट भी बना हुआ है, जिसमें भारत भी शामिल हो गया है। इस गुट को अब बड़ी सफलता मिली है। इस गिरोह में अमेरिका, हिंदुस्तान, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंडोनेशिया और मलेशिया सहित 14 देश शामिल हैं।

इन देशों ने शनिवार को इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक पार्टनरशिप यानी आईपीएफ के तहत सप्लाई चेन एग्रीमेंट के बारे में बड़ी घोषणा की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस एग्रीमेंट का उद्देश्य यह तय करना है कि आईपीएफ के देश कच्चे माल की कमी एक दूसरे के सहयोग से पूरी करेंगे। इस डील से कोरोना और अनावश्यक व्यापार प्रतिबंधों जैसी स्थिति में कम से कम नुकसान होगा।

इसके अलावा यह देश मिलकर अब क्राइसिस रेस्पॉन्स नेटवर्क भी बना रहे हैं। अगर इस नेटवर्क पर आगे काम हुआ तो आईपीएफ में शामिल यह देश नेटवर्क के माध्यम से सेमीकंडक्टर सप्लाई या शिपिंग लाइनों की दिक्कतों से निपटने में सफल हो सकते हैं और एक साथ आ सकते हैं। इसके अलावा सप्लायर्स और स्किल्ड मैनपावर का पता लगाने के लिए भी एक मैकेनिज्म बनाया जा रहा है। साथ ही देशों में निवेश जुटाने में भी मदद की जाएगी।

डील के बारे में कोई भी जानकारी अभी पब्लिक नहीं की गई है। टोक्यो में इसकी पहल हुई थी और अब यह ग्रुप चार पिलर्स की डील के बारे में भी चर्चा कर रहा है। इसमें क्लीन एनर्जी, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था और व्यापार शामिल है। सबसे बड़ी बात आईपीएफ की पहल को प्रमुख एशियाई देशों के साथ अमेरिकी सरकार के गठजोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इनमें से कुछ के अतीत में चीन के साथ भी अच्छे संबंध रहे हैं।

चीन की बढ़ेंगी मुश्किलें

ऐसे में यह डील चीन की टेंशन बढ़ा सकती है। चीन के अमेरिका के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंध फिलहाल अच्छे नहीं दिखते। खासतौर से ताइवान के मुद्दे पर दोनों देशों के संबंधों में खटास आ चुकी है। वहीं भारत एशिया की तेजी से बढ़ती हुई आर्थिक ताकत है। अभी तक भारत की बिजनेस के मामले में बड़ी डील चीन के साथ होती रही है, लेकिन आईपीएफ में अन्य देशों के संबंध बनने से चीन को समस्या बढ़ सकती है। 

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