img

अमेठी। उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल मानी जाने वाली अमेठी विधानसभा सीट पर भाजपा से दो रानियों ने टिकट की दावेदारी की थी लेकिन पार्टी ने रानियों की बजाय महाराज पर भरोसा जताया और चुनाव मैदान में उतार दिया है।

Raja Sanjay Singh

बता दें कि जम्मू कश्मीर के धारा 370 के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी की सदस्यता और राज्यसभा से इस्तीफा देने वाले डॉ. संजय सिंह को अमेठी विधानसभा सीट से बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया है। डॉ. संजय सिंह पूरे 33 साल बाद एक बार फिर से विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि अमेठी के राजा डॉ. संजय सिंह ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत कांग्रेस नेता संजय गांधी के साथ की थी। वे गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं। पहली बार संजय सिंह साल 1980 के चुनाव में वे कांग्रेस से विधायक बने थे। इसके बाद 1985 के चुनाव में भी कांग्रेस से विधायक रहे।

इस दौरान वे प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री पद पर भी रहे। इसके बाद 1989 के चुनाव में उन्होंने जनता दल के टिकट पर लड़ा और कांग्रेस के प्रत्याशी हरिचरण यादव से उन्हें करारी हार मिली। इसके बाद उन्होंने फिर कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। साल 1990 में वे राज्यसभा सदस्य के रूप में केंद्र की सत्ता में पहुंचे और केंद्रीय संचार राज्य मंत्री बनाए गए।

इसके बाद वर्ष 1998 में डॉ. संजय सिंह ने बीजेपी के टिकट पर अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन सतीश शर्मा को पराजित किया। हालांकि 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने उन्हें भारी अंतर से मात दी। फिर 2004 में वे एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस के टिकट पर सुल्तानपुर से लोकसभा पहुंचे।

उन्होंने वर्ष 2014 में एक फिर से कांग्रेस के टिकट पर सुल्तानपुर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन बीजेपी के नेता वरुण गांधी ने उन्हें पराजित कर दिया। फिर पार्टी ने उन्हें असम से राज्यसभा भेज दिया।

धारा 370 के मुद्दे पर उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता और कांग्रेस पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर भाजपा का दमन थाम लिया। इसके बाद अमेठी विधानसभा सीट से उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह 2017 के चुनाव में विजयी हुई थी। अब इस बार पार्टी ने एक बार फिर संजय सिंह पर भरोसा जताया है।

--Advertisement--