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कभी दुनिया में भारत की पहचान मानी जाने वाली एयर इंडिया एक बार फिर ऐसा कारनामा करने को तैयार है। टाटा समूह में एयर इंडिया की वापसी के साथ उनके दिन बदल रहे हैं। टाटा समूह का पूरा ध्यान एयर इंडिया को उसकी खोई हुई पहचान को बहाल करने और इसे एक वैश्विक एयरलाइन बनाने पर है। इसी दिशा में एयर इंडिया फ्रांस और जर्मनी की सबसे बड़ी एयरलाइंस के साथ महंगा सौदा करने जा रही है।

दरअसल टाटा समूह ने एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (एआईईएसएल) को खरीदने के लिए जर्मनी की लुफ्थांसा और फ्रांस की एयर फ्रांस केएलएम एयरलाइंस के साथ करार किया है। टाटा समूह चाहता है कि जब भी एआईईएसएल की नीलामी हो, इन दोनों एयरलाइनों की अनुरक्षण अनुषंगी उस कंसोर्टियम का हिस्सा हो।

टाटा समूह ने पहले ही दो एयरलाइनों, विस्तारा और एयरएशिया इंडिया को एयर इंडिया में विलय करने की योजना बनाई है। लिहाजा सिंगापुर एयरलाइंस की भी एयर इंडिया में 25.1 फीसदी हिस्सेदारी है। सिंगापुर एयरलाइंस की इंजीनियरिंग अनुषंगी भी एआईईएसएल की नीलामी में भाग लेने वाले कंसोर्टियम का हिस्सा होगी।

सरकार ने एआईईएसएल को नहीं बेचा

जब सरकार ने 18,000 करोड़ रुपये के सौदे में एयर इंडिया को टाटा समूह को सौंप दिया, तो उसके रखरखाव, मरम्मत और संचालन (एमआरओ) की सहायक एआईईएसएल सौदे से बाहर हो गई, जिसका अर्थ है कि उसे बेचा नहीं गया। यह अभी भी एक सरकारी कंपनी है। यह कंपनी मुख्य रूप से एयर इंडिया के विमानों की ही मरम्मत करती है, इसलिए एयर इंडिया के पास इसका स्वामित्व होना जरूरी है।

सबसे बड़ी विमान रख रखाव कंपनी

एआईईएसएल देश की सबसे बड़ी एमआरओ कंपनी है। देशभर में उनके 6 हैंगर हैं, जहां विमानों का रखरखाव किया जाता है। एआईईएसएल ने वित्त वर्ष 2021-22 में 450 विमानों की देखरेख की। उसके बाद 840 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। सरकार जल्द ही निजीकरण की राह पर चल सकती है। इस संभावित डील से अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस को भारत में अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

दूसरी ओर, एयर इंडिया के लिए वैश्विक स्तर पर एमआरओ सुविधा का लाभ उठाना आसान होगा। इतना ही नहीं, भारत को इंटरनेशनल हब बनाने की दिशा में काम करने के लिए सरकार एयर इंडिया और इंडिगो जैसी एयरलाइंस से चर्चा कर रही है। अगर ऐसा होता है तो दुनिया भर की उड़ानें भारत में रुकने लगेंगी, जिसमें एयर इंडिया और एआईईएसएल अच्छी प्रगति करेंगी।

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