नई दिल्ली॥ ईरान के कमांडर कासिम सुलेमानी को एयर स्ट्राइक में मारकर अमेरिका ने पूरे विश्व में तनाव पैदा कर दिया है। अपने देश के दूसरे सबसे खूंखार शख्स की अमेरिका के हाथों हत्या के बाद ईरान ने बदला लेने की कसम खाई है और बदले का ऐलान करते हुए कार्रवाई भी शुरू कर दी है। ईरान के इस रुख के पश्चात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ईरान के विरू़द्ध कठोरतम एक्शन की चेतावनी दे रहे हैं। हालांकि, इस बीच ईराक ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया है।
ईराक की संसद में एक प्रस्ताव पास किया गया है। इस प्रस्ताव में बताया कि विदेशी सैनिकों को ईराक की सरज़मी से बाहर किया जाए। इस प्रस्ताव के पास होते ही डोनाल्ड ट्रम्प भड़क गए और उन्होंने ईराक को भी नहीं बख्शा। ट्रम्प ने कहा कि यदि ईराक ने अमेरिकी आर्मी को बाहर जाने के लिए बाध्य किया तो उस पर ऐसे बैन लगाए जाएंगे जिसका सामना उसने कभी नहीं किया होगा।
खास बात ये है कि अमेरिका के करीबी रहे ईराक की सरकार ट्रम्प की चेतावनियों के बावजूद न केवल सुलेमानी की हत्या की आलोचना कर रही है, बल्कि उसकी संसद ने अमेरिकी सैनिकों को ईराक की धरती से बाहर करने का प्रस्ताव पास कर प्रत्यक्ष तौर पर ईरान की सहायता की हुंकार भी भर दी है। ऐसे में यदि ईराकी संसद में पास किया गया प्रस्ताव अमल में लाया जाता है और ईराक की सरकार अमेरिकी सैनिकों को अपनी धरती से हटा देती है तो ईरान से जंग के मुहाने पर खड़े ट्रम्प के लिए गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
यदि ईराक पूरी तरह से अपनी सरज़मी और आसमान को अमेरिका के लिए बंद करने का निर्णय ले लेता है तो ट्रम्प प्रशासन के लिए युद्ध की स्थिति में ईरान पर हमला उतना आसान नहीं होगा। भौगोलिक नजरिए से देखा जाए तो ईरान की सरहद से सटे सबसे नजदीकी और बड़े देश ईराक, पाकिस्तान, तुर्की और अफगानिस्तान हैं।
चौंकाने वाली बात ये है कि पाकिस्तान ने भी अमेरिका को आंख दिखानी शुरू कर दी हैं और पाकिस्तानी सेना ने साफ कहा है कि वह किसी भी देश को युद्ध के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगा। तुर्की ने भी कासिम सुलेमानी की मौत को सही नहीं ठहराया है। ऐसे में ईरान से सटे देशों में अमेरिका के पास सहायता के लिए फिलहाल खुलेतौर पर सऊदी अरब खड़ा नजर आ रहा है।