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नई दिल्ली।। दलितों की हितैषी होने का दम भरने वाली भारतीय जनता पार्टी वैसे तो इस तरह के तमाम आयोजन करती है जिससे उसे दलितों का सच्चा हमदर्द होने का तमगा हासिल हो सके। भाजपा कहती है कि उसने एक दलित को राष्ट्रपति बनवाकर उन्हें सम्मान देने का काम किया है। लेकिन जमीनी हक़ीक़त कुछ और ही कहती है। कर्नाटक के चुनाव में प्रचार के दौरान भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह को लगातार दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है। पहले जुबान फिसली, फिर ‘ट्रांसलेटर’ द्वारा बड़ी गलती कर देना और अब ताजा मामले में उन्‍हें दलितों के विरोध का सामना करना पड़ा रहा है।

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मामला यह है कि अमित शाह चुनाव-प्रचार के दौरान मैसूर में दलितों के एक कार्यक्रम में सम्बोधन के दौरान एक शख्‍स ने खड़े होकर अमित शाह से सवाल पूछ लिया कि “केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ‘संविधान’ बदलना चाहते हैं, फिर भी अब-तक उनकी कैबिनेट में जगह क्‍यों बरकरार है? ” उस शख्‍स ने यह भी कहा कि “या तो आप अनंत कुमार को बाहर का रास्‍ता दिखाइये या बताइये क्‍या बीजेपी अनंत कुमार के बयान से सहमत है? ”

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दलित शख्‍स द्वारा पूछे गए सवाल उससे माइक छीन लिया गया। इतना ही नहीं उसे कार्यक्रम से भी बाहर कर दिया गया। सिक्‍युरिटी द्वारा दलित शख्‍स धक्के मारकर बाहर निकालने पर वहां काफी हंगामा मचा। कई दलित सदस्‍य अमित शाह के कार्यक्रम का बहिस्कार करते हुए अपनी सीटों से उठकर बाहर चल गये।

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