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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर पर विवाद अभी पूरी तरह से थमा नहीं है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर कड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिन्ना ने हमारे देश का बंटवारा किया और हम किस तरह उनकी उपलब्धियों का बखान कर सकते हैं. भारत में जिन्ना का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

सीएम योगी ने कहा कि उन्होंने AMU मामले में जांच के आदेश दिए हैं, जल्द ही उन्हें इसकी रिपोर्ट भी मिल जाएगी. जैसे ही रिपोर्ट मिलेगी, वह इस मामले में एक्शन लेंगे.

योगी के इस कड़े रुख से साफ है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर मामले में यूपी सरकार कोई कोताही नहीं बरतेगी. आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ आज कर्नाटक में चुनाव प्रचार करेंगे, 

लगातार हो रहे विवाद के बाद AMU के हॉल से जिन्ना की तस्वीर को हटा दिया गया था. इसके पीछे तर्क दिया गया था कि अभी परिसर की सफाई चल रही है इसलिए तस्वीरों को हटाया जा रहा है. गौरतलब है कि मंगलवार को AMU के बिगड़े माहौल को देखते हुए आरएएफ की दो कंपनियों को तैनात किया गया है. बुधवार शाम को विश्वविद्यालय परिसर में हंगामे और नारेबाजी के बीच सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. जिन्ना की तस्वीर को लेकर पिछले कई दिनों से सियासत जारी है.

AMU के छात्र संघ की ओर से पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को मानद आजीवन सदस्यता दिए जाने के कार्यक्रम का भी विरोध हुआ. हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने जिन्ना की तस्वीर को हटाने की मांग करते हुए AMU के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी हामिद अंसारी के कार्यक्रम का भी विरोध कर रहे थे. 

आपको बता दें कि अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर को लिखे अपने पत्र में विश्वविद्यालय छात्रसंघ के कार्यालय की दीवारों पर पाकिस्तान के संस्थापक की तस्वीर लगे होने पर आपत्ति जताई थी.

हालांकि, विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शाफे किदवई ने दशकों से लटकी जिन्ना की तस्वीर का बचाव किया और कहा कि जिन्ना विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य थे और उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी.

प्रवक्ता ने कहा, ‘जिन्ना को भी 1938 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी. वह 1920 में विश्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य और एक दानदाता भी थे.’ उन्होंने कहा कि जिन्ना को मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग किए जाने से पहले सदस्यता दी गई थी.

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