Up kiran,Digital Desk : दिल्ली वालों के लिए शनिवार की सुबह भी कोई राहत लेकर नहीं आई। एक बार फिर राजधानी जहरीली धुंध की मोटी चादर में लिपटी नजर आई, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन का सामना करना पड़ा। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार देखने को मिला लेकिन जमीन पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार सुबह 7 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 333 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।
दिल्ली के ये इलाके बने 'गैस चैंबर'
दिल्ली का शायद ही कोई कोना था जहां हवा साफ थी। खासकर आनंद विहार, गाजीपुर मंडी और वजीरपुर जैसे इलाकों में सुबह घना स्मॉग छाया रहा और विजिबिलिटी (दृश्यता) भी काफी कम थी।
- आनंद विहार: 366 (बहुत खराब)
- गाजीपुर मंडी: 366 (बहुत खराब)
- बवाना: 375 (बहुत खराब)
- वजीरपुर: 359 (बहुत खराब)
- सोनिया विहार: 352 (बहुत खराब)
- इंडिया गेट/कर्तव्य पथ: 311 (बहुत खराब)
हालांकि, कुछ इलाकों में स्थिति थोड़ी बेहतर थी। द्वारका के एनएसआईटी क्षेत्र में AQI 260 दर्ज किया गया, जो 'खराब' श्रेणी में आता है।
कितना AQI होता है खतरनाक?
- 0-50: अच्छा
- 51-100: संतोषजनक
- 101-200: मध्यम
- 201-300: खराब
- 301-400: बहुत खराब
- 401-500: गंभीर
सरकार ने संसद में क्या कहा?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति पर सरकार ने संसद में भी अपनी बात रखी है। राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पर्यावरण मंत्रालय ने बताया कि सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लगातार कदम उठा रही है।
मंत्रालय के राज्य मंत्री किरीट वर्धन सिंह ने दावा किया कि साल 2025 में अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली का AQI 'गंभीर प्लस' स्तर पर पहुंचा हो। उन्होंने बताया कि 2021 में बने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अब तक 95 निर्देश जारी किए हैं और सर्दियों में प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) भी तैयार किया गया है।
भले ही सरकारी दावे कुछ भी हों, लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली के करोड़ों लोग हर दिन जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं और उन्हें एक साफ आसमान का इंतजार है।
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