
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि कार्रवाई करने का पहला कदम उस अस्पताल का लाइसेंस रद्द करना होना चाहिए जहां से नवजात लापता हुआ था। अदालत ने बाल अपहरण की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। साथ ही इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए गए।
बाल अपहरण मामले में आरोपी को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने ये टिप्पणी की।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आरोपी को जमानत देने के संबंध में सुविचारित निर्णय नहीं लिया गया। जमानत देते समय आरोपी का पुलिस स्टेशन में उपस्थित होना अनिवार्य था। अदालत ने कहा कि पुलिस ने जमानत पर बाहर आए आरोपियों के ठिकानों पर भी ध्यान नहीं दिया।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा मामले
भारत में हर साल बाल अपहरण और तस्करी के लगभग 2,000 मामले सामने आते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में ऐसे 2,250 मामले दर्ज किए गए और इनमें से सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र, तेलंगाना और बिहार राज्यों में हुए।
अदालत ने कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही अदालत की अवमानना मानी जाएगी।