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Badlapur Case: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में अक्षय शिंदे के फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाने वाले आरोपी के पिता की याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। मामले की सुनवाई रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने की, जिसने सरकार से हथियार पर फिंगरप्रिंट टेस्ट कराने और इसमें शामिल अफसरों के हाथ धोने का निर्देश दिया, जिसमें नीलेश मोरे भी शामिल हैं, जिन्हें अक्षय की फायरिंग में गोली लगी थी और वे घायल हो गए थे।

हाईकोर्ट ने कहा, ''इसे मुठभेड़ कहना कठिन है''

मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अक्षय की मौत पर बड़ा बयान दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मानना ​​मुश्किल है कि चार पुलिसकर्मी एक अप्रशिक्षित आरोपी को काबू नहीं कर सकते। कोर्ट ने पुलिस से यह भी पूछा कि क्या वे पहले सिर में गोली मारते हैं या पैर में या हाथ में। इससे एनकाउंटर पर सवाल उठते हैं।

सीपीपी वेनेगांवकर ने दलील दी कि आरोपी के सामने सिर्फ़ संजय शिंदे ही मौजूद था और यह संजय की तत्काल प्रतिक्रिया थी। हालांकि, कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे मुठभेड़ कहना मुश्किल है क्योंकि यह मुठभेड़ की परिभाषा से अलग है।

हाईकोर्ट ने कहा, पुलिस को पूरी तस्वीर साफ करनी चाहिए

इस बीच, सीपीपी ने अक्षय की पूर्व पत्नी द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने से लेकर मुठभेड़ तक की पूरी घटनाक्रम प्रस्तुत किया। घटना का ब्यौरा मांगने के बाद, अदालत ने सीपीपी से यह भी पूछा कि पिस्तौल किसने लोड की थी। तकनीकी पहलुओं को समझाते हुए, सीपीपी ने कहा कि झगड़े के दौरान पिस्तौल लोड हो गई थी।

हाई कोर्ट ने इस थ्योरी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि स्लाइडर को खींचने के लिए ताकत की जरूरत होती है। कोर्ट ने कहा कि उनका इरादा संदेह पैदा करने का नहीं था, लेकिन पुलिस को तस्वीर साफ करने की जरूरत है।

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