नई दिल्ली, 28 जनवरी। ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों (Farmer Movement) को हटाने को लेकर चौतरफा दबाव बन रहा है। एक ओर जहां दिल्ली पुलिस किसानों को हिंसा के लिए आरोपित मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई का हथकंडा अपना रही है। वहीं बॉर्डर के आसपास के स्थानीय लोग भी लामबंद हो गए हैं लेकिन इन सबके बीच भी किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। भले ही सरकार की ओर से बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं बंद कर दी जाएं वो नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि जब तक सांस चलती रहेगी किसान अपने हक के लिए लड़ता रहेगा।
दरअसल, गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से किसान आंदोलन (Farmer Movement) लगभग बेपटरी हो गया है। राष्ट्रीय ध्वज के अपमान और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का आरोप लगने के बाद कुछ किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया लेकिन अब भी कुछ संगठन आंदोलन करने पर अड़े हुए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान नेता और साथी निश्चिंत रहें, आंदोलन (Farmer Movement) जारी रहेगा। उन्होंने आंदोलन को प्री-प्लान्ड तरीके से बदनाम करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए कहा कि कोई कुछ कर ले किसान हार नहीं मानेंगे। ये आंदोलन जारी था, जारी है और जारी रहेगा।
टिकैत ने यह भी कहा कि जब तक तीन काले कानून वापस नहीं लिये जाते उनका आंदोलन चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि हम गांधीवादी तरीके से यह लड़ाई (Farmer Movement) जारी रखेंगे। पुलिस लाठी चलाएगी तो लाठी खाएंगे, गोली भी खाएंगे। पर हम झुकेंगे नहीं, इनकी गोलियां कम पड़ जाएंगी। जबकि हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस की एफआईआर में नाम होने के बाद भी राकेश टिकैत ने कहा, ‘किसी भी सूरत में गिरफ्तारी नहीं देंगे। अगर पुलिस जोर-जबरदस्ती करती है तो फांसी लगा लूंगा।’
वहीं भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि जबरदस्ती से किसान आंदोलन (Farmer Movement) बंद नहीं होगा। जब तक सांस चलेगी तब तक लड़ेंगे। अभी हमारी कोई योजना नहीं है। अभी हम मीटिंग करेंगे। पता नहीं सरकार क्या-क्या षड्यंत्र करती है।