बड़ी राहत : सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को दी जमानत

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नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दे दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने अर्नब के साथ दो अन्य आरोपियों, नीतीश सारदा और प्रवीण राजेश सिंह को 50 हजार रुपए के बॉण्ड पर अंतरिम जमानत देने के निर्देश दिए। कोर्ट ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को जमानत के आदेश पर तत्काल अमल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का अंतरिम जमानत की मांग ठुकराना गलत था।

Arnab Goswami arrested

जमानत मिलने पर न हो देरी-कोर्ट

शीर्ष अदालत ने जेल प्रशासन और कमिश्नर को आदेश का पालन होने को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए और कहा कि वो नहीं चाहते कि रिहाई में दो दिनों की देरी हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वो निचली अदालत को जमानत की शर्तें लगाने को कहते तो तो और दो दिन लग जाते, इसलिए हमने 50,000 का निजी मुचलका जेल प्रशासन के पास भरने को बोल दिया है।

अर्नब पर 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। इसी मामले में मुंबई पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्नब की जमानत अर्जी ठुकरा दी थी। इसके बाद अर्नब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार को फटकार लगाई

अर्नब की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को निशाना बनाएं तो उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि हम (शीर्ष अदालत) उसकी हिफाजत करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में अर्नब की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामले में CBI जांच की मांग की।

कोर्ट की 6 सख्त टिप्पणियां

  • हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। महाराष्ट्र सरकार को यह सब नजरअंदाज करना चाहिए।
  • अगर किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाता है, तो यह न्याय का दमन होगा।
  • क्या महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में कस्टडी में लेकर पूछताछ की जरूरत है।
  • हम व्यक्तिगत आजादी के मुद्दे से जूझ रहे हैं।
  • अगर संवैधानिक अदालत हस्तक्षेप नहीं करतीं, तो हम विनाश के रास्ते पर हैं।
  • हम इस मामले में सुनवाई इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि हाईकोर्ट से न तो जमानत मिल पाई और न ही वह व्यक्तिगत आजादी की सुरक्षा कर पाया।

 

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