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Canada India Relations: जस्टिन ट्रूडो के ओटावा में पदभार संभालने के बाद से भारत और कनाडा के बीच रिश्ते खराब होते जा रहे हैं। इतना ही नहीं, खालिस्तानी चरमपंथ में भी जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जिससे दोनों मुल्कों के बीच कूटनीतिक संबंध खराब हो रहे हैं। इस बीच, कनाडा के पीएम ट्रूडो ने खालिस्तानियों की मौजूदगी को लेकर बड़ा बयान दिया है।

दिवाली समारोह के दौरान बोलते हुए ट्रूडो ने कहा कि भारत में खालिस्तानी समर्थक मौजूद हैं, मगर वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। ट्रूडो ने ये भी कहा कि कनाडा में मोदी सरकार के समर्थक हैं, मगर वे सभी हिंदू कनाडाई लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

4 नवंबर को ट्रूडो की टिप्पणी ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में आयोजित एक वाणिज्य दूतावास शिविर में खालिस्तान समर्थकों और अन्य उपस्थित लोगों के बीच हुई झड़पों के बाद आई। उन्होंने स्पष्ट किया कि कनाडा में मोदी समर्थक सभी कनाडाई हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। 6 नवंबर को हाउस ऑफ कॉमन्स को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने इस बात पर जोर दिया कि हिंसा भड़काने वाले लोग “किसी भी तरह से” कनाडा में सिख या हिंदू समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

ट्रूडो आगामी आम चुनाव में मतदाताओं का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। सर्वेक्षणों के अनुसार, उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई है और उनकी सरकार की भारत विरोधी नीति ने कनाडावासियों के बीच उनकी छवि को खराब कर दिया है। कनाडा में 8 लाख से ज़्यादा हिंदुओं में से 2.3% हैं जबकि 2.1% या 7 लाख से ज़्यादा सिख हैं। वे एक महत्वपूर्ण मतदाता समूह बनाते हैं और हाउस ऑफ़ कॉमन्स में कुल 338 में से लगभग एक दर्जन सीटों पर नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। इस प्रकार, ट्रूडो सरकार खालिस्तानी अलगाववादियों को खुश करने की कोशिश कर रही है, यह सोचकर कि इससे उसे सिख वोटों को जीतने में मदद मिलेगी।

 

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