कहते हैं कि जहां आस्था होती है वहां चमत्कार भी होते हैं। ऐसा ही चमत्कार करने वाली भगवान गणेश जी (Ganesh Ji) की एक मूर्ति राजस्थान के सीकर जिले में फतेहपुरी गेट पर मौजूद विजय गणेश मंदिर में विराजमान है। इस मूर्ति के सामने कभी दुश्मन सेना के तोप के गोले भी विफल हो गए थे। और तो और मिट्टी की ये मूर्ति का सालों तक पानी में रहने पर भी नहीं गली। शहर के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध इस मंदिर में आज भी श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है।
तोप के गोले हो गए थे विफल
इतिहासकार बताते हैं कि फतेहपुरी गेट पर स्थित गणेश जी (Ganesh Ji) विजय गणेश कहलाते हैं। इनका संबंध सीकर व कासली में हुए युद्ध से भी है। इतिहासकारों की मानें तो साल 1840 में सीकर में राव देवी सिंह के शासन काल में कासली का शासक महाबली पूरणमल था। पूरणमल ने मुल्तान के अजय पहलवान को हराकर कासली की जागीर बादशाह जहांगीर से तोहफे में प्राप्त की थी। बताया जाता है कि इस समय राजा पूरणमल ताकत के मद में चूर था। ऐसे में उसने सीकर के नानी दरवाजे तक पहुंचकर राव देवी सिंह को भी युद्ध की चुनौती दे दी।
राव देवी सिंह ने किया था हमला
पूरणमल की चुनौती से गुस्साये राव देवी सिंह ने कासली पर हमला कर दिया लेकिन युद्ध में सीकर सेना द्वारा दागे गए तोप सारे गोले कासली में विफल होते रहे। इसके बाद गुप्तचरों ने राव देवी सिंह को कासली में विघ्न हरण गणेश जी की मूर्ति का होना बताया। इतिहासकारों का कहना है कि इसके बाद पुरोहितों के कहने पर राव देवी सिंह ने रणभूमि में ही विघ्न हरण गणेश जी (Ganesh Ji) का ध्यान किया। भगवान गणेश जी से पूरणमल के अत्याचारों का जिक्र करते हुए उन्होंने जनकल्याण के लिए अपनी विजय की कामना की।
इसके साथ ही उन्होंने युद्ध जीतने पर उसी मूर्ति को सीकर में स्थापित करने का संकल्प भी लिया। इतिहासकार बताते हैं कि इसके बाद देवी सिंह के हर वार सटीक बैठे और युद्ध में उन्हें विजय मिली। युद्ध जीतने के बाद विघ्न हरने वाले उन्हीं गणेशजी को सीकर में विजय गणेश के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। उनके दर्शन के लिए आज भी यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। (Ganesh Ji)
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