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Up Kiran, Digital Desk: थाना गभाना के अलीगढ़-दिल्ली हाईवे पर 1 जून तड़के 3.30 बजे का वक्त था। रात की स्याही अभी पूरी तरह उतरी नहीं थी सड़क पर सिर्फ हेडलाइट्स की रोशनी में दृश्य बन और मिट रहे थे। एक कैंटर जो बकरों से लदा था तेज रफ्तार में गांव भुकरावली के पास पहुंचा ही था कि अचानक अनियंत्रित होकर डिवाइडर से जा टकराया। बकरों की बेचैन मिमियाहट और मेटल के टकराने की तेज आवाज ने उस सन्नाटे को चीर डाला।

कैंटर के ऊपर बैठे छह लोगों में से कुछ सड़क पर आ गिरे चीखों और दर्द में डूबी रात की खामोशी अब टूट चुकी थी। हजारी लाल (65) जिनकी आँखों में दिल्ली की मंडियों की उम्मीदें थीं मौके पर ही दम तोड़ बैठे। उनका बेटा अमर सिंह (32) जो बाप के साथ रोज़ी की तलाश में निकला था और साथी हरीशचंद्र को मेडिकल कॉलेज ले जाया गया मगर जीवन की डोर टूट चुकी थी। विमल सतेंद्र और गुड्डू अब घायल अवस्था में अस्पताल में हैं उनके चेहरे पर अब भी हादसे का खौफ तारी है।

सिर्फ तीन किलोमीटर पहले भांकरी गांव के पास दूसरा कैंटर सीएनजी खत्म होने के कारण रुका हुआ था। जैसे ही उन्हें पहले कैंटर के हादसे की सूचना मिली वे बेचैनी से एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठकर आगे बढ़े। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था एक और कैंटर ने उन्हें टक्कर मार दी। इस टक्कर में रूपेंद्र जो शायद बचाव की आस में भागे थे चल बसे। यशवीर महाराज सिंह और दीपक घायल हुए हैं। किसी की टूटी पसलियां किसी की फटी पेशानियाँ अब इस सफर की भयावह गवाही दे रही हैं।

 

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