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समलैंगिक विवाह (Same-sex marriage) को कानूनी मान्यता की मांग को लेकर देश में काफी टाइम से बहस छिड़ी है। वहीं आज इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मुद्दों को कानूनी मान्यता की मांग को लेकर पांच सदस्य संविधान पीठ ने सुनवाई की।

केस में CJI ने केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकारों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि समलैंगिक लोगों के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर पक्षपात न किया जाए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह का मामला केंद्र पर छोड़ दिया और कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव हमारी परिधि से बाहर है।

SC ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो ये देश को आजादी से पहले के दौर में ले जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की जरुरत है या नहीं, यह संसद को तय करना है। इस न्यायालय को विधायी क्षेत्र में प्रवेश ना करने के प्रति सावधान रहना चाहिए।

सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि यौन अभिविन्यास के आधार पर संगम में प्रवेश करने का अधिकार प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। विषमलैंगिक संबंधों में ट्रांसजेंडर लोगों को व्यक्तिगत कानूनों सहित मौजूदा कानूनों के तहत शादी करने का अधिकार है। समलैंगिक जोड़े समेत अविवाहित जोड़े संयुक्त रूप से एक बच्चे को गोद ले सकते हैं। 

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