चीन के इस खतरनाक प्रयोग का नतीजा है कोरोना! इस देश की लैब से हुए चोरी हुए थे वायरस

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चीन में कोरोना का वायरस का कहर तेज़ी से फ़ैल रहा है, इसके साथ ही ये दुनियाभर में भी अपना तांडव मचा रहा है. आपको बता दें कि चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है. कोरोना वायरस से चीन में अब तक 425 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 हजार से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है.

वहीँ इसको लेकर कोरोना वायरस को रोकने और बचाव के लिए दुनिया भर में प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस चीन के दावे के मुताबिक सीफूड मार्केट से नहीं बल्कि उसकी प्रयोगशाला से फैला है.कोरोना वायरस का संक्रमण केंद्र कहे जा रहे हुनान सीफूड मार्केट से थोड़ी ही दूर पर ‘वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नैशनल बायोसेफ्टी लैब’ स्थित है जो इबोला, निपाह व अन्य घातक वायरसों पर रिसर्च करती है.

बता दें कि ‘वुहान नैशनल बायोसेफ्टी लैबोरेटरी’ हुनान सीफूड मार्केट से सिर्फ 32 किमी दूर है और ये यह लैब लेवल-4 सर्टिफाइड भी है. वायरस की उत्पत्ति को लेकर तमाम रिपोर्ट्स में सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन चीन की सरकार ने इस पर चुप्पी साध रखी है. वहीं ऑनलाइन पोर्टल ग्रेटगेमइंडिया की जांच में भी वायरस की उत्पत्ति को कनाडा और चीनी बायोलॉजिकल वारफेयर प्रोग्राम के दो एजेंट से जोड़कर देखा गया है.

हालांकि, अभी तक ये सबूत नहीं हैं कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के ही किसी गलत प्रयोग का नतीजा है. इसके साथ ही रिपोर्ट के मुताबिक, 13 जून 2012 को सऊदी के एक 60 वर्षीय शख्स को जेद्दाह के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उसे 7 दिनों से बुखार, सर्दी, सांस लेने में दिक्कत जैसी शिकायतें थीं. इस शख्स को इससे पहले सांस संबंधी बीमारी भी नहीं थी और ना ही वह सिगरेट पीता था.

वहीं मिस्त्र के वायरलॉजिस्ट डॉ. अली मोहम्मद जाकी ने उसके फेफड़ों में अज्ञात कोरोना वायरस का पता लगाया. जब जाकी इस वायरस की उत्पत्ति नहीं ढूंढ सके तो उन्होंने नीदरलैंड के एरास्मस मेडिकल सेंटर के एक मशहूर विशेषज्ञ रॉन फुचियर से संपर्क किया.फुचियर ने जैकी के भेजे हुए वायरस सैंपल का सीक्वेंस लिया. इसके बाद कनाडा नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लैब (NML) के साइंटिफिक डायरेक्टर डॉ. फ्रैंक प्लमर ने फुचियर से सीधे तौर पर वायरस के सैंपल कलेक्ट किया. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये वायरस कनाडा की ही लैब से चीनी एजेंट ने चुराए थे.

गौरतलब है कि मार्च 2019 में कनाडा की एनएमएल लैब के वायरस से भरे रहस्यमयी जहाज चीन में दिखे थे. इस घटना के बाद बायोफेयर एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाए थे कि कनाडा चीन को खतरनाक वायरस क्यों भेज रहा था. एनएमएल लैब के वैज्ञानिकों ने कहा था कि ये घातक वायरस बहुत ही ताकतवर जैव हथियार हो सकते हैं. जांच के बाद पता चला था कि यह घटना एनएमएल लैब में काम कर रहे चीनी एजेंट से जुड़ी थी.

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