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देश में लोकसभा और विधानसभा इलेक्शन एक साथ कराने में चुनाव आयोग को कम से कम डेढ़ साल का वक्त लगेगा। इसके लिए आवश्यक उपकरणों के लिए 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय प्रावधान की भी आवश्यकता होगी। लोकसभा और विधानसभा के साथ-साथ नगर निगम और पंचायत इलेक्शन कराने पर भी चर्चा चल रही है।
'एक राष्ट्र, एक इलेक्शन' की अवधारणा पर मंथन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में बनी उच्च स्तरीय समिति पार्टियों और सामाजिक संगठनों से फीडबैक ले रही है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 17 पार्टियां विरोध कर चुकी हैं यह। इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने आयोग से एक साथ इलेक्शन कराने के लिए जरूरी उपकरणों के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। वर्तमान में, आयोग सामग्रियों की समीक्षा कर रहा है।
एक साथ हो सकती हैं लोकसभा और विधानसभा; मगर आयोग को तैयारी के लिए कम से कम डेढ़ साल का समय लगेगा। कम से कम 30 लाख ईवीएम, 43 लाख बैलेट सेट और 32 लाख वीवीपैट मशीनों की जरूरत होगी। इन मशीनों के निर्माता ईसीआईएल और बीईएल को अग्रिम ऑर्डर देना होगा।
देश में अनुमानित 12.50 लाख मतदान केंद्रों के लिए 1.5 लाख से अधिक वीवीपैट की आवश्यकता है। इलेक्शन आयोग आज 35 लाख सेट की कमी से जूझ रहा है। अगर लोकसभा और विधानसभा इलेक्शन एक साथ होंगे तो एक मतदान केंद्र पर दो ईवीएम मशीनें रखनी होंगी और रिजर्व सेट भी तैयार रखना होगा। इन मशीनों पर 15 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च होने की संभावना है।