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crorepati tawaif: गौहर की मां विक्टोरिया, जन्म से भारतीय थीं और एक अच्छी नर्तकी और गायिका थीं। अपने पति से तलाक लेने के बाद विक्टोरिया अपनी 8 वर्षीय बेटी एंजलिना के साथ बनारस चली गईं, जहाँ उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया और अपना नाम 'खुर्शीद' रखा। मां के साथ-साथ गौहर का भी धर्म परिवर्तन हुआ और एंजलिना का नाम गौहर में बदल गया। इस डांसर का अधिकांश काम कृष्ण भक्ति पर केंद्रित है।

गौहर हिंदुस्तान में उन शुरुआती हस्तियों में से एक थीं जिन्होंने 78 आरपीएम पर संगीत रिकॉर्ड किया, जिसे बाद में ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया ने जारी किया। गौहर ने 1887 में दरभंगा के रॉयल कोर्ट में अपनी पहली प्रस्तुति दी थी और उन्होंने नृत्य और संगीत की शिक्षा बनारस से प्राप्त की।

गौहर ने 1896 में कोलकाता में अपनी पहली प्रस्तुति दी, जिसके बाद उन्हें 'पहली डांसिंग गर्ल' का खिताब मिला। वो अपने समय की एक बेहद प्रसिद्ध कलाकार थीं, जिनकी तस्वीरें माचिस और पोस्टकार्ड पर भी प्रकाशित होती थीं।

सन् 1902 में ग्रामोफोन कंपनी के पहले भारतीय एजेंट फ्रेड्रिक विलियम ने गौहर को पहली भारतीय कलाकार के रूप में चुना जो संगीत रिकॉर्ड कर सके। 11 नवंबर 1902 को कोलकाता के एक होटल के कमरे को गौहर के लिए एक स्टूडियो में बदला गया था।

बता दें कि पहले के समय में तवायफ का काम केवल शारीरिक संबंध बनाना नहीं था, बल्कि अपनी गायकी और नृत्य से प्रशंसा प्राप्त करना भी था। मुजरे और गायन की कला के माध्यम से ये तवायफें हजारों-लाखों कमाती थीं। उस वक्त गांधी जी ने उनसे आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी।

गांधी जी से हो गईं थी नाराज

गौहर जान ने महात्मा गांधी से इस शर्त पर आर्थिक मदद देने का वादा किया कि वे उनका नृत्य देखने आएंगे। हालांकि, गांधी जी स्वयं नहीं आए और अपने स्थान पर शौकत अली को भेज दिया, जिससे गौहर जान बहुत नाराज हो गईं। कई लोगों का कहना है कि गौहर ने गांधी जी की मदद की थी, तो वहीं कईयों का ये मानना है कि नाराजगी की वजह उन्होंने मदद नहीं की थी।

इतिहासकार गौहर जान को पहली महिला सिंगर बताते हैं। 
 

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