भारत में तरह-तरह के मिथक प्रचलित हैं, जिन्हें लोगों ने सच मान लिया है। उदाहरण के लिए कुछ लोगों का मानना है कि बिल्ली का रोना अपशकुन है, वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अगर आप सांप को मारेंगे तो सांप अपनी मौत का बदला लेने जरूर आएगा, मगर सच्चाई ये है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। ये बातें। ऐसी बातें केवल लोगों के अंधविश्वास पर आधारित हैं। एक मिथ है कि 'सूर्यास्त (सूरज ढलने) के बाद नाखून नहीं काटने चाहिए', मगर क्या आप जानते हैं कि यह बात कितनी सच है? क्या रात में नाखून चबाना वाकई बुरा है? जानिए यह कितना सच है।
हालांकि अपने नाखूनों को काटना एक अच्छी बात है। स्कूलों में भी बच्चों को सिखाया जाता है कि नाखून हमेशा काटने चाहिए, क्योंकि ये बीमारियों का घर होते हैं। दरअसल जब नाखून बढ़ते हैं तो उनमें गंदगी जमा होने लगती है, जो हाथ धोने पर भी बाहर नहीं निकलती। अब ऐसे में अगर आप एक ही हाथ से खाना खाते हैं तो स्वाभाविक है कि पेट में गंदगी भी चली जाती है और फिर तरह-तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हमेशा नाखूनों को ट्रिम करने की सलाह दी जाती है।
नाखून काटने का कोई निश्चित समय नहीं होता है। पुराने जमाने में लोग दीयों, लालटेनों या दीयों के साथ रात गुजारते थे क्योंकि बिजली नहीं होती थी और उनकी रोशनी इतनी तेज नहीं होती थी कि लोग अपने नाखूनों को बारीकी से काट सकें। कम रोशनी की वजह से नाखूनों के साथ-साथ उंगली कटने का भी डर रहता है।
शायद इसी वजह से यह लोकप्रिय हो गया है और लोग आज भी इस मिथक को मानते हैं कि सूर्यास्त के बाद नाखून काटना अपशकुन से जुड़ा है, मगर रात में नाखून काटने से कोई अपशकुन नहीं होता है। अब हर जगह बिजली है, जिसका प्रकाश सूर्य के प्रकाश से कम नहीं है। लोग चाहें तो रात में भी अपने नाखून काट सकते हैं।
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