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कोरोना के दौर में हमने प्लाज्मा थेरेपी के बारे में खूब सुना। कई अस्पताल कोरोना से जूझ रहे मरीजों के इलाज में इसे इस्तेमाल कर रहे थे। पर बाद में रिसर्च सामने आई कि प्लाज्मा से कईयों को फायदा हुआ और बहुतों को नहीं। आईये जानते हैं इसके बारे में।

प्लाज्मा खून का लिक्विड पीला पार्ट होता है। यह खून का 55% हिस्सा होता है। कई बीमारियों में प्लाज्मा को इस्तेमाल किया जाता है। बहुत सारी बीमारियों को ठीक करने के लिए प्लाज्मा के अंदर एंटीबॉडी, प्रोटीन और एंजाइम होते हैं और यह अपने अपने लेवल पर अलग अलग बीमारियों से निपटने में मदद करते हैं। प्लाज्मा थैरेपी में एक डोनर से 400 एमएल प्लाज्मा निकाला जाता है। एक मशीन के द्वारा निकाला जाता है और इससे सिर्फ प्लाज्मा बाहर आता है। बाकी सारा खून वापस चला जाता है।

आपको बता दें कि प्लाज्मा के अंदर मौजूद एंटीबॉडीज वायरस से लड़ने का काम करती है। प्लाज्मा में पाए जाते हैं इंफ्लेमेटरी साइटोकाइन। सरल भाषा में कहें तो ऐसे सेल्स इन्फेक्शन फैलाने वाली चीजों खिलाफ लड़ते हैं। प्लाज्मा में यह मौजूद होते हैं। इसलिए अलग अलग बीमारियों के इलाज में प्लाज्मा का इस्तेमाल किया जाता है।

 

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