हिंदू कैलेंडर के मुताबिक देव दिवाली (Dev Diwali 2021) यानी देवताओं की दीवाली हर साल कार्तिक महीने के 15 वें चंद्र दिवस (कार्तिक पूर्णिमा) को मनाई जाती है। ये तारीख आमतौर पर नवंबर या फिर दिसंबर महीने में पड़ती है। ये पवित्र त्योहार दिवाली के 15 दिन बाद वाराणसी शर में धूमधाम से मनाया जाता है। कहते हैं इस दिन देवता दिवाली मनाते हैं। यही वजह है कि इसे देव दिवाली कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता धरती पर आते हैं और दिवाली मनाते हैं। इस साल देव दिवाली18 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है।
पूर्णिमा तिथि शुरू: 18 नवंबर, गुरुवार दोपहर 12 बजे से
पूर्णिता तिथि समाप्त: 19 नवंबर, शुक्रवार 02: 26 मिनट पर
प्रदोष काल मुहूर्त: 18 नवंबर सायं 05: 09 से 07: 47 मिनट तक
पूजा अवधि: 2 घंटे 38 मिनट तक (Dev Diwali 2021)
मान्यता है कि देव दीपावली (Dev Diwali 2021) के दिन सूर्योदय से पहले ही गंगा स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। कहते हैं प्रातः काल गंगा स्नान करने से पुण्य मिलता है। अगर गंगा स्नान संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए। देव दीवाली के दिन भगवान गणेश, भोलेनाथ और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। शाम की पूजा में शंकर भगवान को फूल, घी, नैवेद्य और बेलपत्र अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। यही वजह है देव दिवाली (Dev Diwali 2021) दानव पर भगवान शिव की जीत का जश्न मनाने के लिए मनाई जाती है। इस दिन को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। देव दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा सबसे पहले 1985 में पंचगंगा घाट पर शुरू हुई थी।
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