जम्मू कश्मीर पुलिस के एडीजीपी विजय कुमार ने मंगलवार को बताया कि अनंतनाग में मारे गए दो दहशतगर्दों में लश्कर कमांडर उजैर खान भी शामिल है। सुरक्षा बलों को ये कामयाबी ऑपरेशन के सातवें दिन मिली। सात दिन तक चली इस मुठभेड़ के पीछे एक ऐसा आतंकवादी था जो पुलिस की प्राथमिकता सूची में निचले स्थान पर था। दस लाख के इनामी आतंकी का नाम उजैर खान था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक साल से अधिक वक्त तक उजैर खान पुलिस के निशाने पर था। यह उन 50 स्थानीय दहशतगर्दों में से एक था जिसे पुलिस ने बी कैटेगिरी में रखा था। यह कैटेगरी अपेक्षाकृत कम खूंखार आतंकी के लिए है। इसमें ऐसे दहशतगर्दों को रखा जाता है, जिनमें आतंकी संस्था के बीच मुख्य व्यक्ति के रूप में उभरने की संभावना नहीं होती। मगर तीन शीर्ष अफसरों की हत्या ने सुरक्षा बलों को चौंका दिया। पुलिस का मानना है कि उजैर खान ही इन हत्याओं के पीछे था।
आतंकवादी बनने से पहले उजैर खान इलैक्ट्रीशियन था। वह दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग के नागम गांव का रहने वाला था। 28 वर्षीय इलेक्ट्रीशियन ने बीते वर्ष जुलाई में घर छोड़ा था। कुछ दिनों बाद पुलिस को पता चला कि वह दक्षिणी कश्मीर में सक्रिय लश्करे तैयबा के दहशतगर्दों में शामिल हो गया। एक पुलिस अफसर ने कहा कि उसे कभी भी बड़े खतरे के रूप में नहीं देखा गया। इस साल मई में पुलिस उजैर खान को खत्म करने के बेहद करीब थी जब उन्होंने उसे कोकरनाग के सद्दाम के घने जंगल इलाके में घेर लिया था। हालांकि थोड़ी देर की फायरिंग के बाद वह भागने में सफल रहा।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि इसके बाद उसने अपना ठिकाना स्थाई रूप से कोकेरनाग के घने जंगलों में शिफ्ट कर दिया। ये वो इलाका था जिसके बारे में उजैर अच्छी तरह से जानता था। उस इलाके के बारे में अपनी जानकारी से विदेशी दहशतगर्दों के एक समूह की भी सहायता की। पुलिस अफसर ने कहा कि हमें जानकारी मिली थी कि वह विदेशी दहशतगर्दों के मार्गदर्शक के रूप में काम करने के लिए उनके समूह में शामिल हो गया था। इस पूरे वक्त हमारा ध्यान बासित डार जैसे बड़े दहशतगर्दों पर था।
ग्रामीणों के अनुसार उजैर खान के माता पिता तब अलग हो गए थे जब वह छोटा था। अपनी मां की मौत के बाद वह अपने पिता और सौतेली मां के साथ रहता था। मगर आखिरकार उनके संबंधों में खटास आ गई और दो हज़ार 22 की गर्मियों में लापता होने से पहले तक वह अपने नाना के साथ ही रह रहा था।
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