क्या मोदी सरकार ने ट्रम्प के दबाव में US को दवा देने का फैसला किया, जानिए पूरा सच

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नई दिल्ली ।। क्लोरोक्वीन मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में मलेरिया को रोकने और उसका उपचार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है जहां मलेरिया इसके प्रभावों के प्रति संवेदनशील है। कुछ प्रकार के मलेरिया, प्रतिरोधी उपभेदों और जटिल मामलों में आमतौर पर अलग या अतिरिक्त दवा की जरूरत होती है।

क्या हिंदुस्तान एक बार फिर अमेरिकी दवाब में आ गया है क्या नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मित्र’ डोनल्ड ट्रम्प के दवाब में आकर क्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर लगी रोक हटा ली है। ये प्रश्न इसलिए उठ रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी के तुरन्त बाद हिंदुस्तान ने क्लोरोक्वीन और पैरासेटामॉल दवाओं के निर्यात पर लगी रोक हटा ली है।

सरकार ने एक आदेश में कहा है, ‘पहले से मिले सभी ऑर्डर के मुताबिक निर्यात किया जाएगा, विदेश मंत्रालय और औषधि विभाग मानवता के आधार पर सभी निर्यात ऑर्डर पर भिन्न-भिन्न विचार करेंगे।’ इस आदेश का मतलब यह है कि हिंदुस्तान को अब अमेरिका, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया, इज़रायल और खाड़ी देशों को इन दो दवाओं का निर्यात करना होगा।

सरकार ने टिनिडेज़ोल, मेट्रोनिडेज़ोल, इरीथ्रोमाइसिन सॉल्ट और विटामिन पर लगी रोक भी हटा दी है। पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर लगी रोक हटने का विरोध स्वाभाविक है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका में हुए एक शोध में यह पाया गया है कि इस दवा का इस्तेमाल कोरोना रोगियों पर करने से लाभ हुआ है, हालांकि कुछ दूसरे डॉक्टर इससे इत्तिफाक नहीं रखते।

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हिंदुस्तान में इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने कहा है कि कोरोना का उपचार कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों पर इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे सकारात्मक नतीजे मिले हैं। आईसीएमआर ने इसके साथ ही सरकार को यह भी सलाह दी थी कि इस दवा का भंडारण कर लिया जाए क्योंकि कोरोना के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी ख़ुद हिंदुस्तान को इस दवा की ज़रूरत है। ऐसे में इसके निर्यात का विरोध भी हो सकता है!

विदेश विभाग के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘पैरासेटामॉल और ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लाइसेंस दवा की श्रेणी में ही रहेंगी, उनकी माँग पर लगातार नज़र रखी जाएगी। स्टॉक रहा तो इन दवाओं के निर्यात की इजाज़त दी जा सकती है।’ श्रीवास्तव ने कहा, ‘महामारी के मानवीय पक्ष को देखते हुए हिंदुस्तान पैरासेटामॉल और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के उचित मात्रा में पड़ोसी देशों को निर्यात की अनुमति दे सकता है, ये देश हमारी क्षमता पर ही निर्भर हैं।’

इसके पहले सरकार ने इन दवाओं के निर्यात पर पूरी तरह बैन लगा दिया था। समझा जाता है कि सरकार का यह फ़ैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की चेतावनी के बाद लिया है। ट्रम्प ने इसके एक दिन पहली ही हिंदुस्तान को खुले आम चेतावनी दी थी कि यदि उसने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति नहीं की तो वॉशिंगटन उसके विरूद्ध बदले की कार्रवाई करेगा।

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