Dussehra 2022: इस वजह से मनाया दशहरा, जानें पौराणिक कथा और परंपरा

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शारदीय नवरात्रि के खत्म होने के अगले दिन दशहरा (Dussehra 2022) पर्व मनाया जाता है। ये त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। दशहरा सामान्य तौर पर नवरात्रि के दसवें दिन यानी दसमी तिथि को मनाया जाता है लेकिन कई बार नवमी और दशमी तिथि एक ही दिन पद जाती है। इस साल नवमी 14 अक्टूबर को गुरुवार के दिन जबकि दशहरा 15 अक्टूबर को यानी शुक्रवार को मनाया जायेगा।

इसलिए मनाया जाता है दशहरा (Dussehra 2022)

दशहरा मनाये जाने के पीछे जो पौराणिक कथा है उसके अनुसार, भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान रावण ने मां सीता का हरण कर लिया था। इसके बाद सीता को बचाने और अधर्मी रावण का नाश करने के लिए, भगवान श्री राम और रावण के साथ कई दिनों तक भीषण युद्ध चला था। इस युद्ध के दौरान पड़े शारदीय नवरात्रि में श्री राम ने लगातार नौ दिनों तक शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा की थी।

मां दुर्गा के आशीर्वाद से भगवान श्री राम ने युद्ध के दसवें दिन रावण का वध कर पत्नी सीता समेत सभी लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था। इसी परंपरा को मानते हुए हर वर्ष देश भर में दशहरा मनाया जाता है। दशहरे (Dussehra 2022)  के दिन रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण को बुराई का प्रतीक मानकर उनके पुतले जलाये जाते हैं और श्री राम की जीत का जश्न मनाया जाता है।

ये भी मानी जाती है वजह

एक अन्य पौराणिक कथा है कि नवरात्रि के बाद दशहरा (Dussehra 2022) मनाये जाने की एक और वजह मानी जाती है। इसके अनुसार असुर महिषासुर और उसकी सेना द्वारा देवताओं को परेशान करने से नाराज मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उसकी सेना से युद्ध किया था और दसवें दिन महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। शारदीय नवरात्रि की स्थापना के दिन स्थापित किये गए कलश, मां की मूर्तियों और बोये गए ज्वारों का विसर्जन भी दशमी के ही दिन किया जाता है।

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