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सनातन परंपरा में श्रावण मास को भगवान भोलेनाथ की भक्ति के लिए विशेष महत्व दिया गया है। यही कारण है कि इस शुभ महीने में कई शिव भक्त प्रसिद्ध शिव मंदिर जाते हैं। पंचतत्व पर आधारित 5 शिवालयों को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, साथ ही भगवान द्वादश ज्योतिर्लिंग से जुड़े मंदिर भी हैं, जिनके दर्शन मात्र से शिव साधक की सभी इच्छाएं और प्रार्थनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं कहां हैं ये 5 पवित्र स्थान और क्या है इनकी पूजा का धार्मिक महत्व, जिन्हें भगवान महादेव का जागृत स्थान माना जाता है।

एकंबरनाथ मंदिर (पृथ्वी तत्व)

पृथ्वी तत्व पर आधारित भगवान शिव का यह चमत्कारी मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। मान्यता है कि आम के पेड़ के नीचे स्थापित इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही शिव भक्तों के सारे दुख और चिंताएं दूर हो जाती हैं। रेत से बने एकांबरनाथ शिवलिंग पर जलाभिषेक की जगह जल छिड़कने की परंपरा है। 23 एकड़ क्षेत्र में फैला भगवान शिव का यह मंदिर देश के 10 सबसे बड़े मंदिरों में से एक है।

जंबुकेश्वर मंदिर (जल तत्व)

तिरुचिरापल्ली स्थित जंबुकेश्वर मंदिर जल तत्व का प्रतीक माना जाता है। मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग को स्थानीय लोग अप्पू लिंगम यानी जलिंग के रूप में पूजते हैं। भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर भी लगभग 18 एकड़ क्षेत्र में बना हुआ है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि एक समय माता पार्वती ने यहां महादेव के शिवलिंग को जल से निकालकर पूजा की थी।

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अरुणाचलेश्वर मंदिर (अग्नि तत्व)

तमिलनाडु के तिरुवन्नमलाई में स्थित इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा अग्नि तत्व के रूप में की जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में भगवान महादेव के दर्शन और पूजा करने से शिव भक्त के जीवन का अंधकार दूर हो जाता है और उसे अपार ऊर्जा मिलती है। अरुणाचलेश्वर मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग लगभग तीन फीट का है। दक्षिण भारत के इस शिव मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

कालहस्तीश्वर मंदिर (वायु तत्व)

वायु तत्व पर आधारित भगवान शिव का एक मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के काला हस्ती क्षेत्र में स्थित है। शिव भक्तों द्वारा ऊंची पहाड़ी पर बनाए गए इस शिव मंदिर को दक्षिण का कैलास कहा जाता है। कालहस्तेश्वर मंदिर के अंदर प्रतिष्ठित शिवलिंग की ऊंचाई लगभग चार फीट है। इस शिव लिंग को वायु लिंग या कर्पूर लिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस शिवलिंग पर न तो जल चढ़ाया जाता है और न ही उसे छुआ जाता है।

 

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नटराज मंदिर (आकाश तत्व)

तमिलनाडु के चिदम्बरम शहर में भगवान शिव का आकाश तत्व पर आधारित एक मंदिर स्थित है। दक्षिण भारत में यह मंदिर थिल्लई नटराज मंदिर के नाम से जाना जाता है, जहां भगवान शिव की नृत्य करती हुई मूर्ति दिखाई देती है। पंचतत्वों पर आधारित मंदिरों में यह एकमात्र मंदिर है, जहां शिव लिंग की जगह मूर्ति या भौतिक स्वरूप की पूजा की जाती है ।

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