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चंद्रयान 3 की सफलता के साथ भारत ने बुधवार को अंतरिक्ष में नया इतिहास रच दिया। चंद्रयान की सफल लैंडिंग में इसरो की बहुत बड़ी टीम ने काम किया। देश भर के कई होनहार साइंटिस्टों को टीम का हिस्सा बनाया गया जो अलग अलग कोणों से संबंध रखते हैं। इस टीम में यूपी के कई साइंटिस्टों ने भी अहम भूमिका निभाई। 

किसी ने उपकरण डिजाइन तैयार किया तो कोई चंद्रयान पर हर पल निगरानी रख रहा था। मुरादाबाद, अलीगढ़ और बदायूं जैसे छोटे शहरों से निकले इन साइंटिस्टों ने भारत की इस सफलता में बड़ा योगदान दिया है। अलीगढ़ की प्रिया। इसरो की अहम टीम का हिस्सा है जो लैंडर और रोवर को लेकर काम कर रही थी।

एएमयू से एमटेक इलेक्ट्रोनिक्स की पढ़ाई करने वाले पी अंजू के पिता डॉक्टर राजीव कुमार एसबी कॉलेज में भूगोल विभाग में प्रधानाध्यापक हैं।

मिशन में मिर्जापुर के युवा वैज्ञानिक आलोक कुमार पांडे भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। आलोक और उनकी साथियों ने लैंडिंग और कम्यूनिकेशन की जिम्मेदारी संभाली है। पिता संतोष पांडे के पुत्र आलोक से फोन पर हुई बातचीत के बारे में बताया कि मिशन के शत प्रतिशत सफल होने के बाद आलोक तीन दिन से निरंतर इसरो के कमांड सेंटर में ही काम करते रहे। इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर काम कर रहे आलोक मार्स मिशन 2014 में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार पा चुके हैं।

सत्यपाल अरोड़ा ने अहम भूमिका निभाई। इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर काम कर रहे सत्यपाल ने चंद्र यान के दूसरे लैंडिंग में लिक्विड प्रोपल्सन की टेस्टिंग और एनालिसिस का कार्य उन्होने 60 लोगों की टीम के साथ पूरा किया। मुरादाबाद के कांशी नगर ई ब्लॉक निवासी विवेक भटनागर और उनकी पत्नी गौतम इस मिशन में और बोल्ड सॉफ्टवेयर साइंटिस्ट के रूप में जुड़े थे तो खुशहाल नगर निवासी वैज्ञानिक रजत प्रताप सिंह ने भी चंद्रयान तीन मिशन में अहम योगदान दिया।

प्रतापगढ़ के रवि केसवानी चंद्रयान तीन मिशन की उस टीम में हैं जिन्हें शिप यानी 000 हेवी टेम्पल प्लेटिनम अर्थ नाम का विशेष उपकरण बनाया गया है। चांद पर धरती से भेजे गए सिग्नल का अध्ययन करेगा। 

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