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जेल में बंद 'वारिस पंजाब दे' के चीफ अमृतपाल सिंह और अन्य लोगों के घरवालों और वकीलों को जेल में नहीं जाने देने का मामला सामने आया है. अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने आपत्ति जताई है।

दूसरी ओर, जिले के उपायुक्त ने परिवार के लोगो एवं वकीलों से मिलने की इजाजत नहीं देने के आरोपों से मना किया और दावा किया कि बीते पांच महीनों में परिवार के सदस्यों, वकीलों और अन्य लोगों को 42 बार मिलने की इजाजत दी गई है.

शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट धामी ने कहा कि दबीरूगढ़ जेल में बंद सिखों के परिवारों को मुलाकात से रोकना मानवाधिकार का उल्लंघन है. यात्रा के लिए अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा पर्याप्त इजाजत नहीं दी गई, जो सही नहीं है। शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष ने पंजाब के सीएम से इस मामले पर फिक्र करने की दरख्वास्त की.

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि दबीरूगढ़ जेल में बंद भाई अमृतपाल सिंह और उनके साथियों द्वारा अपने हकों के लिए शुरू की गई भूख हड़ताल मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने पंजाब सरकार से डिप्टी कमिश्नर को हिरासत में लिए गए सिंह और उनके वकीलों को समय-समय पर उनसे मिलने की अनुमति देने का निर्देश देने को भी कहा।

 

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