हिंदू धर्म शास्त्र और ग्रंथो के अनुसार सोमवार के दिन को भगवान शंकर की विशेष तौर से पूजा अर्चना करने का दिन होता है यह दिन भगवान भोले शंकर को समर्पित होता है इस दिन को कई लोग व्रत व उपवास भी रखते है माना जाता है और हिंदू धर्म शास्त्र और ग्रंथो में इस बात का उल्लेख भी है कि यदि किसी व्यक्ति की मनोकामना व इच्छा पूरी नही हो पा रही है या किसी लड़की को अपने मनपसंद का जीवन साथी चाहिए तो इन सभी इच्छाओ व मनोकामना की पूर्ति के लिए जातक को सोमवार का या फिर 16 सोमवार का व्रत रखना चाहिए। जब व्यक्ति का 16 सोमवार का व्रत पूरा हो जाता है तो फिर व्रत का उद्यापन किया जाता है मतलब किसी भी व्रत का समय पूरण हो जाने के बाद भगवान की जो अंतिम पूजा या व्रत होती है उसे ही व्रत को सौंपना या व्रत का उद्यापन कहा जाता है।
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सोमवार का व्रत कब करना चाहिए
यूं तो सोमवार का व्रत कोई भी व्यक्ति किसी भी महीने मे शुरू कर सकता हैं। लेकिन हिंदू धर्म शास्त्र और वैदिक शास्त्र की माने तो इस व्रत को शुरूआत करने का अच्छा महीना सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्येष्ठ या मार्गशीर्ष मास के सभी सोमवार श्रेष्ठ माने जाते हैं। इस व्रत में शिव-पार्वती जी की पूजा के साथ साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। जब यह पूजा सम्पन्न हो जाती है तो इसे पूरे विधि विधान के साथ सौंपना व उद्यापन करना किया जाना जरूरी होता है।
तो चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि सोमवार व्रत के उद्यापन की विधि और नियम क्या क्या हैं
सोमवार व्रत उद्यापन विधि (Somvar Vrat Udyapan Vidhi)
- सोमवार के दिन को सुबह उठकर के नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान करें
- जब आप स्नान कर ले तो उसके बाद आपको सफेद वस्त्र धारण करने होगे।
- नहाने के बाद पूजा वाली जगह को गंगा जल से शुद्ध अवशय कर लें। .
- इसके बाद पूजा वाली जगह पर केले के चार डंठल के द्वारा चौकोर मण्डप बना लें।
- इस मण्डप को चारों ओर से फूल और बंदनवार (आम के पत्तों का) से सजा लें।
- इसके बाद पूर्व की ओर मुंह करके आसन पर बैठ जायें और साथ में पूजा करने की सामग्री भी रख लें।
- इसके बाद मण्डप में आटे या हल्दी की रंगोली बनाए और फिरउसके ऊपर से चौकी या लकड़ी के पटरे को मंडप के बीच में रख दें।
- इसके बाद चौकी पर साफ और कोरा सफेद वस्त्र बिछायें।
- इसके बाद उस चौकी पर शिव-पार्वती जी की प्रतिमा या फिर फोटो को स्थापित करें।
- उसके बाद चौकी पर किसी पात्र में पानी रखकर चंद्रमा को भी स्थापित करें
- उसके बाद आप चौकी के सामने आसन पर बैठकर पहले अपने आप को शुद्ध करने के लिये पवित्रीकरण मंत्र पढ़ लें।
पवित्रीकरण इस तरह से करें
पहले हाथ में जल लेकर इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥ मंत्र को पढ़े। इसके बाद पूजा कि सामग्री और आसन को भी जल मंत्र उच्चारण
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
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के साथ जल छिड़क कर मंत्र शुद्ध कर लें।
- सोमवार व्रत उद्यापन के लिये पूजा सामग्री में शिव व पार्वती जी की प्रतिमा, चंद्रदेव की मूर्ति या चित्र, चौकी या लकड़ी का पटरा, अक्षत, पान (डंडी सहित), सुपारी, ऋतुफल, यज्ञोपवीत (हल्दी से रंगा हुआ), रोली, मौली, धूप, कपूर, रूई (बत्ती के लिये), पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही,घी,शहद एवं शर्करा मिला हुआ), छोटी इलायची, लौंग, पुष्पमाला (2 सफेद एवं 1 लाल), चंदन (सफेद एवं लाल), कुंकुम, गंगाजल, कटोरी, आचमनी, वस्त्र (एक लाल एवं तीन सफेद), पंचपात्र, पुष्प, लोटा, नैवेद्य, आरती के लिये थाली, मिट्टी का दीपक, कुशासन, खुल्ले रुपये, केले के खम्बे (केले का तना सहित पत्ता/ केले का पत्ता), आम का पत्ता।
- इसके बाद सविधि सोमवार व्रत का पूजा करे
- और पूजा करने के बाद ब्राह्मण को दान करें ऐसा करने से आपका सोमवार का व्रत का उद्यापन हो जाता है।
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