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!!वाह रे, पावर कार्पोरेशन वाह!!

लखनऊ : कुछ दिन पूर्व मेरे सहयोगी पत्रकार ने वाराणसी से मुझे कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भेजे, जिनको पढने के पश्चात हमारे पैरो तले जमीन ही निकल गयी । उपलब्ध कागजो में साफ साफ भ्रष्टाचार के प्रमाण व शिकायती पत्रों का एक संग्रह है, जिसमें पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के प्रबंधनिदेशक की शह पर हो रहे भ्रष्टाचार का पूरा लेखा जोखा है..... इन साक्ष्यो से यह प्रमाणित होता है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे अवैध रूप से नियुक्त बडकऊ यानि प्रबंध निदेशक इन घोटाले / भ्रष्टाचारी अधिकारीयो को पूरा सरक्षण दे रहे है।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंधनिदेशक महोदय अपने ही विभाग के मुखिया यानी कि अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन के पत्रो का भी ससमय उत्तर नही देते है... मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री और तो और प्रधान मंत्री कार्यालय से आये पत्रो को भी चांदी के जूते के आगे कुछ नही समझते ।

पूरे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और उसकी सहयोगी कंपनियों ने निविदाओ को खोलने के लिए जहाँ अधीक्षण अभियन्ता सक्षम अधिकारी होता है और उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशानुसार सभी निविदाएं जेम पोर्टल के माध्यम से प्रकाशित की जाएगी व कार्यालय समयानुसार ही किसी निविदा को खोला जाना है यानि कि 10 से 5 के बीच में (बात बीते माह की)... परन्तु पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में प्रबन्धनिदेशक यानि कि बडका बाबू ने सिविल/जानपद के एक अधिशासी अभियन्ता को बड़ी-बड़ी धनराशी की निविदाएं प्रकाशित करने, उनको खोलने व एग्रीमेंट करने के लिए नियम विरुद्ध अधिकृत कर रखा है... यानि कि नियम कानून गये भाड़ में, हम है पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के भ्रष्टाचारी राजा... जो चाहेंगे वह हम करेंगे, हमारा कोई कुछ नही बिगाड सकता।

बडकऊ के अतिप्रिय इस अधिशासी अभियन्ता को पूर्व में पावर कार्पोरेशन द्वारा दण्डित भी किया जा चुका है, परन्तु जितने का दण्ड मिला, उससे कई गुनी धनराशी महोदय ने पहले ही डकार रखी थी... तो इनकी सेहत पर इस दण्ड का कोई फर्क नही पडता।

यह अधिशासी अभियन्ता का नाम कुम्भ घोटालय में एक बार फिर सामने आया था, फिर ठेकेदार से लिखित रूप से रिश्वत मांगने का मामला हो या फिर 15945.76 ₹  प्रति स्क्वायर मीटर की दर से निर्मित 70 स्क्वायर मीटर और 90 स्क्वायर मीटर की मेज हो या फिर 01 करोड 40 लाख रुपया की निविदा या  फिर 04 करोड 40 लाख की निविदाओ को खोलने मे हुए भ्रष्टाचार का मामला हो या फिर गोपनीय अनुभाग को बिना अनुमति खुलवाने के मामले मे अधीक्षण अभियन्ता अनुशासनिक का पत्र हो ,अधिकारियो को गलत जानकारी देने पुलिस मे झूठी प्राथमिकता दर्ज कराने,  अपने ऊपर जानलेवा हमले को लेकर झूठ फैलाना और तो और प्रधानमंत्री के पत्र पर कार्यवाही ना करने पत्रकारो को झूठे मुकदमे मे फसाने के लिए शिकायत करना है।

बड़काऊ की जिम्मेदारी होती है कि अपने अधिनस्थों से नियम का पालन कराये.. लेकिन साक्ष्य यह कहते हैं कि यहां का, बड़काऊ खुद ही भ्रष्टाचारियों को संरक्षक दे रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी के सचेतक विधायक द्वारा लिखित शिकायत करने आदि मामले होते हुए भी पद्दोनति की सूची में नाम होना बिना प्रबन्धनिदेशक के आशीर्वाद के सम्भव है ही नहीं ..... यह कैसा प्रबन्धनिदेशक है जो कि बिना अग्निशमन विभाग के अनापत्ति प्रमाणपत्र (एन ओ सी ) के नय भवन मे अपने पूरे अमले के साथ बैठना शुरू कर दिया जबकि इस भवन का नक्शा भी नही पास है... अगर इस भवन में भविष्य मे कोई दुर्घटना होती है, तो यही बड़काऊ जिम्मेदार होगे । खैर…
 

           …क्रमश:   

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