बेंगलुरु। बेंगलुरु की रहने वाली 55 वर्षीय आशा सूर्यनारायण अब ‘गोल्डन ब्लड डोनर’ के नाम से फेमस हो चुकी हैं। आशा के मुताबिक वे जब 24 साल की थीं तबसे ब्लड डोनेट कर रही हैं। आशा की गिनती उन चुनिंदा ब्लड डोनर में होती है जो अब तक 100 यूनिट खून दान कर चुकी हैं।
आशा बताती हैं कि बीते 10 अप्रैल को उन्होंने ब्लड की 101वीं यूनिट दान दी है। वे कहती हैं बहुत से लोग अभी भी यही मानते हैं कि महिलाओं को ब्लड नहीं डोनेट करना चाहिए क्योंकि ब्लड डोनेट करने से उनके एनेमिक या फिर कमजोर होने की संभावना ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा मैं इन सब मिथक को लगाम देना चाहती हूं। लोगों को ब्लड डोनेट करने के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहती हूं। साथ ही इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित भी करना चाहती हूं।
सूर्यनारायण बताते हैं,”जबकि सिंगल डोनर प्लेटलेट (एसडीपी) ट्रांसफ्यूजन थेरेपी कई मामलों में विभिन्न संक्रमणों से पीड़ित लोगों को ठीक करने के लिए मानी जाने वाली थेरेपी है, फिर भी कई अस्पताल महिलाओं को प्लाज्मा दान करने की अनुमति नहीं देते हैं।’
आशा बताती हैं कि उन्होंने पहली बार साल 1994 में ब्लड डोनेट किया था जब एक अस्पताल ने रेयर ब्लड ग्रुप होने के कारण उनसे ऐसा करने के लिए काफी अनुरोध किया था। आशा कहती हैं कि उन्हें उस समय ब्लड डोनेट करने का महत्व के बारे में जानकारी नहीं थी। उनके मुताबिक एक बार एक सिटी हॉस्पिटल ने एक एड निकाला था।
जिसके लिए मुझे कॉल आया क्योंकि मेरा ब्लड ग्रुप A Negative है। इसके बाद मुझे ब्लड डोनेट करने का महत्व समझ आया। इसके बाद जब साल 1996 में बैंगलोर ऑनकोलॉजी सेंटर में मैंने एक कैंसर पेसेंट को खून दिया।
बस तब से ये सिलसिला चल पड़ा। हालांकि उनके लिए ये सफर आसान नहीं था। उन्हें थोड़ा बहुत उनकी फैमिली से सपोर्ट मिला था बस। आशा बताती हैं कि जब भी अस्पताल से कॉल आता था उन्हें खून देने के लिए जाना होता था।