Up Kiran, Digital Desk: भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़े भीषण संघर्ष के छह महीने बाद, अब हम उन वीर सैनिकों के संघर्ष की गाथाएँ सुन रहे हैं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और समर्पण से अपने देश को बचाया। मई में जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमला किया, तो पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर में स्थित उरी जलविद्युत परियोजनाओं को निशाना बनाया। यह संघर्ष न केवल सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा बल्कि राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ था।
उरी जलविद्युत परियोजनाओं का बड़ा खतरा
उरी स्थित जलविद्युत संयंत्र, जो झेलम नदी पर स्थित हैं, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट हैं। पाकिस्तान की ओर से की गई गोलाबारी और ड्रोन हमलों ने इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को गंभीर खतरे में डाल दिया। उनका उद्देश्य सिर्फ परियोजनाओं को नष्ट करना ही नहीं था, बल्कि नजदीकी नागरिकों को भी नुकसान पहुँचाना था। लेकिन, भारतीय सुरक्षा बलों की तत्परता और रणनीति ने इस आपातकालीन स्थिति को संभाल लिया।
CISF के वीर जवानों की भूमिका
सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) की 19 सदस्यीय टीम, जो उरी जलविद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा कर रही थी, ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। कमांडेंट रवि यादव के नेतृत्व में सीआईएसएफ के जवानों ने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों का मुकाबला किया और उन्हें नष्ट कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने तत्काल एक बड़े निकासी अभियान की शुरुआत की, जिसमें 250 नागरिकों और एनएचपीसी (राष्ट्रीय जलविद्युत निगम) के कर्मचारियों को गोलाबारी से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया।
अग्निपरीक्षा के बीच टीम की तत्परता
उरी जलविद्युत परियोजनाएँ पाकिस्तान द्वारा लगातार गोलाबारी के बीच संकट का सामना कर रही थीं। सीमा से महज आठ से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन प्रतिष्ठानों में तैनात सीआईएसएफ की टीम ने अपनी चतुराई और शौर्य से स्थिति को संभाल लिया। दुश्मन की गोलाबारी और खतरनाक ड्रोनों के बावजूद, सीआईएसएफ के जवान पूरी तरह से पेशेवर रहे और सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल रहे।
आपातकालीन निकासी और बचाव कार्य
आस-पास के आवासीय क्षेत्र में गोलों की आवाज़ सुनाई देने के बाद, महिलाओं, बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ जवानों ने एक चुनौतीपूर्ण निकासी अभियान चलाया। घर-घर जाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना और उन्हें डर से बचाना उनकी वीरता का प्रतीक था। इस साहसिक प्रयास के कारण लगभग 250 लोग सुरक्षित बच पाए।
महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की रक्षा
सीआईएसएफ ने केवल लोगों की सुरक्षा नहीं की, बल्कि परियोजना की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपाय भी किए। बंकरों को मजबूत किया गया, संचार प्रणालियों को चालू रखा गया और दुश्मन द्वारा हमला किए गए ड्रोन को नष्ट किया गया। इसके अलावा, हथियारों और आपूर्ति के पुनर्वितरण ने संकट के समय भंडार की सुरक्षा सुनिश्चित की। इन प्रयासों से भारत की जलविद्युत परियोजनाओं को होने वाले नुकसान से बचाया गया और राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखा गया।
सीआईएसएफ की वीरता को मिला सम्मान
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन 19 वीर जवानों की बहादुरी और समर्पण को देखते हुए उन्हें महानिदेशक डिस्क से सम्मानित किया गया। ये जवान न केवल सीमा पर बल्कि हर चुनौती का सामना करते हुए भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की रक्षा में अग्रिम मोर्चे पर खड़े रहते हैं। गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृत बढ़ी हुई जनशक्ति के साथ, सीआईएसएफ आने वाले समय में और भी ज्यादा प्रभावी रूप से कार्य करेगा।
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