हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार हर महीने में पांच दिन के लिए पंचक लगता है। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि जब चंद्रमा का गोचर घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र में होता है तो पंचक लगता है। इसके साथ ही जब चंद्रमा का गोचर कुंभ और मीन राशि में होता है तो ये स्थिति भी ‘पंचक’ लगने की वजह बनती है। पंचक को ‘भदवा’ के नाम से जाना जाता है।
Panchak 2022
हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक साल 2022 का दूसरा पंचक 2 फरवरी दिन बुधवार से लगेगा। इस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। इस पंचक का समापन 6 फरवरी दिन रविवार को होगा।
पंचक का महत्व
पौराणिक मान्यता है कि पंचक में शुभ और मांगलिक कार्य किया जाना वर्जित होता है लेकिन कुछ स्थितियों में कुछ कार्यों को छोड़कर अन्य कार्य किए जा सकते हैं। कहते हैं कि अग्नि पंचक में मंगल से जुड़ी चीजों का प्रयोग बेहद वधानी से करना चाहिए और अग्नि से बचना चाहिए। इन दिनों में क्रोध से बचना चाहिए और वाणी को मधुर बनाये रखना चाहिए।
कहते हैं पंचक जब रविवार से शुरू होता है तो इसे रोग पंचक, सोमवार से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक, मंगलवार के दिन से लगने वाले पंचक को अग्नि पंचक, शुक्रवार से प्रारंभ होने वाला पंचक को चोर पंचक और शनिवार से लगने वाले पंचक को मृत्यु पंचक के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि पंचक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं लेकिन जब बुधवार और गुरूवार से पंचक आरंभ होता है पांच कार्यों के अतिरिक्त सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
पंचक में इन कार्यों को नहीं किया जाता है
ज्योतिष कहते हैं कि पंचक में 5 प्रकार के कार्यों को वर्जित माना गया है-
‘अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।
इस श्लोक का अर्थ ये है कि पंचक के दौरान लकड़ी इकट्ठी करना, पंलग खरीद खरीदना या फिर बनवाना, घर की छत का निर्माण कराना और दक्षिण दिशा की यात्रा करना अशुभ होता है।