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IMF और पाकिस्तान के बीच तनातनी देखने को मिली है। हाल ही में पाकिस्तान ने अपना बजट पेश किया था और उस बजट को लेकर बहस देखने को मिल रही है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान बजट की आलोचना की का कहना है कि सरकार दो हजार तेईस से चौबीस के बजट में टैक्स बेस को व्यापक बनाने में फेल साबित हुई है।

पाकिस्तान लंबे समय से IMF के सामने गिड़गिड़ा रहा है लेकिन पाकिस्तान के सामने एक के बाद एक कठिन शर्त रख रहा है। जैसे ही पाकिस्तान के सलाना बजट की आलोचना की उसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री का बयान भी सामने आया है।

उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान एक संप्रभु देश है और वो कर्ज देने वाले की सभी शर्तों को स्वीकार नहीं कर सकता। हालांकि पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने को जैसा जवाब दिया है उससे एक बात तो हो गई है कि पाकिस्तान को कोई भी मदद नहीं मिलने वाली है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के मंत्री का ये बयान उसे आने वाले भविष्य में बडे़ खतरे में डाल सकता है।

आपको बताए तो पाकिस्तान के पास फिलहाल आपने पिछले कर्ज चुकाने को लेकर भी चुनौती है। अगर पाकिस्तान ने बकाया पैसों को समय पर नहीं लौट आया तो उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा।

बता दें कि पाकिस्तान को सबसे ज्यादा उम्मीद IMF से थी और अब पाकिस्तान की वो उम्मीद टूटती हुई नजर आ रही है।

वित्त मंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ राजनीति की जा रही है और उन्होंने कहा कि विदेशी दुश्मन चाहते है कि पाकिस्तान एक और श्रीलंका में बदल जाए।

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