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राजस्थान कांग्रेस को करारा झटका लगा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीते कल को लगभग 400 पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के साथ चले जाने से नागौर लोकसभा क्षेत्र आरएलपी के लिए खाली हो गया है। कांग्रेस ने यहां नागौर सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है।

बेनीवाल की शिकायत के आधार पर सोमवार को नागौर में BJP उम्मीदवार ज्योति मिर्धा के पक्ष में प्रचार करने पर तीन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया। पूर्व विधायक भाराराम, कुचेरा पालिकाध्यक्ष तेजपाल मिर्धा और सुखाराम डोडवाडिया के निलंबन के बाद नागौर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में गुस्से की लहर दौड़ गई। निलंबन का विरोध करते हुए तीनों कांग्रेस नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

बीते कल को तेजपाल मिर्धा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा, ''विधानसभा चुनाव में नागौर में कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी। उसने आठ में से चार सीटें जीतीं। लोकसभा चुनाव में भी वो उतनी ही मजबूत थी। इसके बावजूद वह आरएलपी के साथ क्यों गई?'' हनुमान बेनीवाल उस व्यक्ति के साथ चले गए जो कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश कर रहा है और यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा झटका है

कांग्रेस आलाकमान स्थानीय कांग्रेस क्षेत्रीय इकाई की सहमति के बिना आरएलपी के साथ चला गया है। ये बात हम पर थोपी गई है। आरएलपी पूरे जिले में कांग्रेस को हराने पर आमादा थी। हमने कभी भी बीजेपी के साथ मंच साझा नहीं किया। फिर भी बेनीवाल ने हमें पार्टी से निकाल दिया। यह भी कहा कि कांग्रेस ने सीधे तुगलकी फरमान जारी कर बिना कोई सूचना या कारण बताओ नोटिस दिए हमें निष्कासित कर दिया।

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