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हिन्दुओं के सबसे पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता (Geeta Gyan) में भगवान कृष्ण के उन उपदेशों का वर्णन है जो उन्होंने महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में पाण्डु पुत्र अर्जुन को दिया था। गीता में दिए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे। ये उपदेश आज भी मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं और उन्हें सफलता दिलाने में सहायक होते हैं।

भगवत गीता (Geeta Gyan) में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं जिनमें धर्म के मार्ग पर चलते हुए सद् कर्म करने की शिक्षा दी गई है। जीवन में आने वाली सभी दुविधाओं और समस्याओं का हल भी गीता में मिलता है। कहते हैं कि गीता में दी गई बातों के सही से अनुसरण करने से जीवन बदल जाता है और व्यक्ति को हर काम में सफलता जरूर प्राप्त होती है। आज हम आपको श्रीमद्भागवत गीता की उन पांच बातों के बारे में बताएंगे जिनका अनुसरण करके आप कही भी विजय प्राप्त कर सकते हैं।

ये हैं महत्वपूर्ण बातें

गीता (Geeta Gyan) में लिखा गया है कि व्यक्ति को अपने क्रोध पर काबू करना सीखना चाहिए। क्रोध की स्थिति में व्यक्ति खुद पर नियंत्रण खो बैठता है और आवेश में आकर गलत काम कर बैठता है। गीता में कहा गया है कि क्रोध में लिए गए फैसले अक्सर गलत होते है जिसका आगे चल कर व्यक्ति को पछतावा होता है इसलिए क्रोध आने पर सबसे पहले व्यक्ति को खुद को शांत करना चाहिए।

श्रीमद्भागवत गीता (Geeta Gyan) में बताया गया है कि हर व्यक्ति को आत्ममंथन जरूर करना चाहिए। आत्मज्ञान के माध्यम से ही व्यक्ति अपने गुणों और अवगुणों के बारे में पता कर सकता है। आत्म मंथन व्यक्ति को सही गलत का निर्णय करने में भी सहायक होता है। यही वजह है कि हर व्यक्ति को इसलिए कुछ समय अकेले में रह कर आत्ममंथन जरूर करना चाहिए।

श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को स्वयं का आंकलन करना भी बेहद आवश्यक है। जब तक आप खुद को अच्छे से नहीं समझेंगे, तब तक आप स्वयं से जुड़ा कोई भी फैसला बेहतर तरीके से नहीं ले पाएंगे। भगवान कृष्ण कहते हैं कि जब मनुष्य अपने गुणों और अवगुणों को जान लेता है तब वह सही ढंग से अपने व्यक्तित्व का निर्माण कर पाता है। (Geeta Gyan)

गीता (Geeta Gyan) में बताया गया है कि हर व्यक्ति को अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। मन बहुत चंचल होता है और यही मनुष्य के दुःख की वजह भी बनता है। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने मन पर काबू पा लेता वो सफलता की राह पर चल पड़ता है। ऐसा व्यक्ति सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देता है और अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर लेता है।

गीता (Geeta Gyan) के उपदेश के अनुसार, मनुष्य को उसके कर्मों के अनुरूप ही फल प्राप्त होता है इसलिए परिणाम के बारे में सोचे बिना व्यक्ति को सिर्फ सिर्फ कर्म करते रहना चाहिए।

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