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रत्न ज्योतिष में कुल 84 प्रकार के रत्नों का जिक्र किया गया है। इनमें से 9 रत्न ऐसे होते हैं, जिनका संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। ये 9 रत्न ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करते हैं। रत्न जीवन में सुख- समृद्धि लाते हैं लेकिन इसे धारण करने से पहले किसी ज्योतिष की सलाह अवश्य ले लें। ज्योतिष कोई भी रत्न जन्मराशि, जन्मतिथि और कुंडली के अनुसार रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। आज इस लेख में हम जानेंगे गोमेद रत्न के क्या फायदे हैं और इसे धारण करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

गोमेद रत्न के फायदे

गोमेद रत्न हल्के व गहरे भूरे या लाल रंग का होता है। इसका रंग शहद की तरह भी हो होता है। इसे राहु का रत्न भी कहते हैं। जानकार बताते हैं कि राहु के प्रकोप को कम करने के लिए गोमेद रत्न धारण किया जाता है। इस रत्न के धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा का भी प्रभाव खत्म होता है। गोमेद रत्न धारण करने से न सिर्फ मन की शांति मिलती है, बल्कि जीवन के संकट भी खत्म होते हैं।

ज्योतिषी का कहना है कि गोमेद रत्न धारण करने से कुंडली में राहु दोष के साथ ही कालसर्प दोष भी दूर होता है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे गोमेद रत्न पहनना चाहिए। गोमेद रत्न के असर से काले जादू का भी प्रभाव खत्म होता है। माना जाता है कि कुंडली में राहु के प्रभाव की वजह से क्रोध और मानसिक तनाव रहता है। इससे व्यक्ति के दिमाग पर जोर पड़ता है और निर्णय लेने में मुश्किल आती है। ऐसे में गोमेद रत्न को धारण करना चाहिए।

कैसे धारण करें गोमेद रत्न

ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि गोमेद रत्न का वजन 6 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए। इसे शनिवार के दिन चांदी या अष्टधातु में सूर्यास्त के बाद बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए।इस रत्न को धारण करते समय ‘ऊं रां राहवे नम:’ का मंत्र 108 बार जाप करना चाहिए।

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