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Haryana Election Results: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे कुछ अप्रत्याशित रहे हैं। लगभग सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की एकतरफा जीत की भविष्यवाणी की गई है। शुरुआती रुझानों के मुताबिक कांग्रेस बढ़त बनाती दिख रही है। मगर बाद में तस्वीर पूरी तरह बदल गई और बीजेपी ने बड़ा धमाका कर दिया। आईये जानते हैं कांग्रेस की हार के तीन कारण-

पहला कारण

हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर है। यहां किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई अवसर नजर नहीं आता। दोपहर 12 बजे तक 17 में से 9 सीटों पर कांग्रेस जबकि 8 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार आगे चल रहे थे। बीजेपी के लिए ये बड़ी संख्या है क्योंकि पिछली बार उसे सिर्फ 5 सीटें मिली थीं। पिछली बार दुष्‍यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने चार आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी। इस समय जेजेपी किसी भी सीट पर अच्छा प्रदर्शन करती नजर नहीं आ रही है।

दूसरा कारण

कांग्रेस में हुडा बनाम कुमारी शैलजा का मामला काफी चर्चित रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी दोनों नेताओं के बीच रिश्ते को मधुर बनाने की कोशिश की और दोनों रैली में हाथ उठाए नजर आए। कांग्रेस का कहना है कि दोनों के बीच रिश्ते खराब नहीं हैं, मगर कुमारी शैलजा और हुड्डा दोनों अलग-अलग मुख्यमंत्री पद का दावा करते रहे। इतना ही नहीं कुमारी शैलजा ने एक इंटरव्यू में ये भी कहा था कि उन्हें याद नहीं है कि मैंने उनसे कब बात की थी। कहा जा रहा है कि दोनों के बीच इस तरह खुलेआम टकराव से पार्टी को लगातार नुकसान हो रहा है।

तीसरा कारण

एक अहम बात ये है कि एक तरफ कांग्रेस नेता अतिउत्साही थे, वहीं बीजेपी सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश में थी। गुरुग्राम में पहली बार ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारा गया, जबकि महेंद्रगढ़ में यादव को मौका दिया गया। इसके अलावा सैनी, गुर्जर, यादव समाज की भी कई बैठकें हुईं। इस तरह बीजेपी गैर-जाट ओबीसी समुदाय में मजबूत हो गई है और इसका फायदा भी दिखने लगा है।

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