
Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाजपा-शासित राज्यों से लौट रहे बंगाली प्रवासी श्रमिकोंके लिए आजीविका का वादा राज्य प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है. अगर मुख्यमंत्री के आह्वान पर बंगाली प्रवासी श्रमिक (Bengali migrant workers) बड़ी संख्या में राज्य लौटने लगे, तो उनकी नौकरी (Job) और आजीविका की गारंटी (Livelihood Assurance) को लागू करने में कई बाधाएं आ सकती हैं. यह एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक चुनौती (Socio-Economic Challenge) के रूप में सामने आ रहा है.
पश्चिम बंगाल सरकार इस मुद्दे को लेकर पहले भी सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट के कटघरे में आ चुकी है, जब कोर्ट ने सरकार से प्रवासी मजदूरों का सटीक डेटा (Migrant workers data) देने को कहा था, लेकिन राज्य के पास यह डेटा मौजूद नहीं है. दूसरी ओर, बिहार के जेडीयू विधायक (Bihar JDU MLA) संजीव सिंह ने भी प्रवासी मजदूरों के वोटर लिस्ट (Voter List) से नाम हटने को लेकर चिंता जताई है, जो बिहार चुनाव (Bihar Elections) से पहले एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. ममता बनर्जी ने हाल ही में लगभग 22 लाख प्रवासी कामगारों से बंगाल लौटने का आग्रह किया है
प्रशासन की बढ़ी चुनौतियाँ: तीन सबसे बड़ी बाधाएं जो योजना को कर रही फेल!
विश्वसनीय डेटाबेस का अभाव (Lack of Authentic Database):
पहली और सबसे बड़ी बाधा पश्चिम बंगाल से आने वाले प्रवासी श्रमिकों की सटीक संख्या (Exact number of migrant workers) और उनके राज्यवार वितरण (State-wise distribution) पर किसी भी प्रामाणिक डेटाबेस (Authentic Database) की अनुपलब्धता है. बिना इस जानकारी के, सरकार के लिए एक प्रभावी पुनर्वास और रोजगार योजना (Rehabilitation and Employment Plan) बनाना असंभव है.
अस्थायी बनाम स्थायी श्रमिकों की जानकारी नहीं (No Data on Floating vs. Permanent Workers):
दूसरा, इस बात का कोई प्रामाणिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि इनमें से कितने 'फ्लोटिंग वर्कर्स' (Floating Workers) हैं और कितने स्थायी प्रवासी श्रमिक (Permanent Migrant Workers) हैं[1]. पश्चिम बंगाल से कुशल (Skilled) और अकुशल (Unskilled) प्रवासी श्रमिकों की संख्या पर अलग-अलग डेटा भी उपलब्ध नहीं है. साथ ही, पश्चिम बंगाल के इन प्रवासी श्रमिकों के क्षेत्रवार वितरण (Sector-wise distribution) का कोई अनुमान, यहां तक कि अनुमानित भी नहीं है.
कुशल श्रमिकों के लिए सीमित अवसर (Limited Opportunities for Skilled Workers):
राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया कि, अगर अकुशल या फ्लोटिंग प्रवासी श्रमिक और कुछ हद तक रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास क्षेत्र में लगे कुशल श्रमिक भी पश्चिम बंगाल लौटने पर वैकल्पिक नौकरी (Alternative Job) और आजीविका (Livelihood Arrangements) व्यवस्था के साथ समायोजित हो सकते हैं, तो अन्य क्षेत्रों में विशेषज्ञता वाले कुशल श्रमिकों (Skilled workers with specialization) के लिए पुन:स्थापन (Resettlement) की लगभग शून्य संभावना है.
कौन हैं ये 'फ्लोटिंग' और 'स्थायी' प्रवासी मजदूर? जानें उनके पीछे का सच!
फ्लोटिंग वर्कर्स (Floating Workers): ये वे श्रमिक होते हैं जो साल के अधिकांश समय अपने मूल स्थान पर रहते हैं और कुछ समय के लिए जीवन यापन के लिए अन्य राज्यों में जाते रहते हैं राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया कि इन फ्लोटिंग प्रवासी श्रमिकों का कोई निश्चित गंतव्य नहीं होता, और वे साल में सीमित अवधि के लिए किसी भी राज्य में पैसा कमाने जाते हैं जहां इन अस्थायी कमाई की संभावना अधिक होती है. ये फ्लोटिंग प्रवासी श्रमिक मुख्य रूप से या तो कृषि श्रमिक (Agricultural Workers) होते हैं, जिनकी मांग अन्य राज्यों में बुवाई (Sowing) और कटाई के मौसम (Harvesting Seasons) में बढ़ जाती है, या वे बिना किसी विशेषज्ञता (Without any Specialisation) वाले अकुशल श्रमिक होते हैं[1].
स्थायी प्रवासी श्रमिक (Permanent Migrant Workers): ये वे लोग होते हैं जो स्थायी रूप से अन्य राज्यों में बस गए हैं, जिनमें से कई अपने परिवारों के साथ हैं, और उनके लिए पश्चिम बंगाल त्योहारों के मौसम में एक व्यावसायिक स्थल (Vocational Venue) है राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, इन स्थायी प्रवासी श्रमिकों का बहुमत कुशल श्रमिक हैं जिनके पास रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (Real Estate and Infrastructure Development), गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग (Garment Manufacturing), ज्वैलरी मेकिंग (Jewellery Making), जेम कटिंग (Gem Cutting), और मेटल आइडल क्राफ्ट्समैनशिप (Metal Idol Craftsmanship) जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता है[1].
पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास की गति धीमी रही है, और हाल के वर्षों में कई उद्योगों ने राज्य छोड़ दिया है, जिससे कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर सीमित हुए हैं. 2011-2025 के बीच 6600 से अधिक कंपनियों ने बंगाल छोड़ दिया, जिनमें से 2200 से अधिक 2019 के बाद से गईं. राज्य में उद्योग-धंधे लगाने के बजाय उन्हें और राज्य निकाला देने की नीति का आरोप है
अकुशल श्रमिक भी क्यों नहीं लौटेंगे? जानें बड़ा आर्थिक अंतर!
यहां तक कि अकुशल (Unskilled) और फ्लोटिंग प्रवासी श्रमिकों (Floating migrant workers) के मामले में भी, औद्योगिक रूप से विकसित (Industrially Developed) या कृषि प्रधान राज्यों (Agriculturally Superior States) में उन्हें मिलने वाली दैनिक भुगतान दरें (Daily Payment Rates) पश्चिम बंगाल में संबंधित दरों की तुलना में काफी अधिक हैं. यह आर्थिक अंतर ही इन श्रमिकों को अन्य राज्यों में बने रहने के लिए प्रेरित करता है, जिससे ममता बनर्जी के 'घर वापसी' के आह्वान की व्यावहारिकता पर सवाल उठते हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले साल 22 लाख बंगाली प्रवासी मजदूरों से अपील की थी कि वे वापस लौट आएं और आश्वासन दिया था कि उन्हें राशन कार्ड, हेल्थ कार्ड और नौकरी दी जाएगी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों को परेशान किया जा रहा है और 'एनआरसी लागू करने' की कोशिश की जा रही है. इस मामले में कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने भी केंद्र से प्रवासी श्रमिकों की जिलावार जानकारी मांगी है, ताकि उन्हें केंद्रीय योजनाओं का लाभ मिल सके.
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