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Up kiran,Digital Desk : कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त ड्रामा चल रहा है। बाहर सब कुछ शांत दिखने की कोशिश हो रही है, लेकिन अंदर ही अंदर कांग्रेस पार्टी में 'कुर्सी' को लेकर एक बड़ी जंग छिड़ी हुई है। मामला है मुख्यमंत्री की कुर्सी का, जिस पर फिलहाल सिद्धारमैया बैठे हैं, लेकिन डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की नजरें अब उसी पर टिकी हैं।

'ढाई साल का फार्मूला' बना गले की हड्डी

याद कीजिए, जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब चर्चा थी कि सीएम की कुर्सी दो हिस्सों में बंटेगी। यानी, पहले ढाई साल सिद्धारमैया मुख्यमंत्री रहेंगे और बचे हुए ढाई साल डीके शिवकुमार राज करेंगे।
अब खबर यह है कि सरकार के ढाई साल पूरे हो चुके हैं (20 नवंबर को), और डीके शिवकुमार को अब वो पुराना 'वादा' याद आ रहा है। लेकिन, पेंच यह है कि सिद्धारमैया कुर्सी छोड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं दिख रहे हैं।

इशारों-इशारों में 'जुबानी जंग'

सोशल मीडिया 'X' (ट्विटर) पर दोनों दिग्गजों के बीच गजब की बयानबाजी चल रही है, बिना एक-दूसरे का नाम लिए।

  • शिवकुमार का वार: डीके शिवकुमार ने इशारों में कहा, "जुबान की कीमत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होती है। चाहे वो कोई भी हो, अपनी बात पर कायम रहना चाहिए।" उनका इशारा साफ़ था कि जो वादा हुआ था, उसे अब पूरा करने का वक्त आ गया है।
  • सिद्धारमैया का पलटवार: सिद्धारमैया तो मझे हुए खिलाड़ी निकले। उन्होंने शिवकुमार की पोस्ट के कुछ ही घंटों बाद जवाब दे दिया। उन्होंने लिखा कि जनता ने उन्हें 'पांच साल' के लिए चुना है, किसी एक पल के लिए नहीं। उन्होंने अपने पुराने कामों की लिस्ट भी गिना दी और साफ कर दिया कि वो अभी कहीं नहीं जा रहे हैं।

क्या राजस्थान और छत्तीसगढ़ वाला हाल होगा?

कांग्रेस के लिए यह 'ढाई साल का फार्मूला' हमेशा से सिरदर्द रहा है। आपको याद होगा, राजस्थान (गहलोत बनाम पायलट) और छत्तीसगढ़ (बघेल बनाम टीएस सिंहदेव) में भी यही हुआ था। वहां भी सत्ता बदलने की बात थी, लेकिन विवाद इतना बढ़ा कि बाद में पार्टी को चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा।

अब कर्नाटक में भी इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि फैसला 'हाईकमान' ही लेगा और पब्लिक में झगड़ा न करें। लेकिन डीके शिवकुमार की जल्दबाजी और सिद्धारमैया का आत्मविश्वास बता रहा है कि पिक्चर अभी बाकी है।

देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस आलाकमान इस बार अपने 'संकटमोचक' डीके शिवकुमार को खुश कर पाएगा, या फिर जादूगर सिद्धारमैया एक बार फिर अपनी बाजी मार ले जाएंगे?