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Up kiran,Digital Desk : अगर आपके घर में कोई नन्हा मेहमान आया है या एक साल से छोटा बच्चा है, तो यह खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए। अस्पतालों में इन दिनों नवजात शिशुओं की भीड़ बढ़ रही है, और वजह है- रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV)। डॉक्टर इसे लेकर काफी चिंतित हैं और उनका साफ कहना है कि प्रदूषण और बदलता मौसम इस वायरस को और ताकतवर बना रहा है।

आखिर ये RSV है क्या?

आसान भाषा में समझें तो यह एक ऐसा वायरस है जो सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करता है। बड़ों के लिए यह एक मामूली सर्दी-जुकाम हो सकता है, लेकिन नवजात बच्चों (Newborns) के लिए यह जानलेवा साबित हो रहा है। खास तौर पर उन बच्चों के लिए जो समय से पहले (Premature) पैदा हुए हैं या जिनका दिल-फेफड़ा कमजोर है।

लोहिया संस्थान और PGI जैसे बड़े अस्पतालों में रोज़ाना 2 से 3 ऐसे बच्चे आ रहे हैं जो इस संक्रमण की चपेट में हैं। चूंकि इस बीमारी की कोई पक्की दवा (Specific Medicine) अभी नहीं है, इसलिए इसका इलाज लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे कोविड का होता था।

कोविड वाली सावधानी फिर जरूरी

डॉक्टरों ने बहुत ही पते की बात कही है— "अगर घर में किसी को सर्दी-खांसी है, तो बच्चे के पास न जाएं।"
बिल्कुल कोरोना काल वाले नियम याद कर लीजिए।

  • अगर आप बीमार हैं, तो घर में भी मास्क लगाएं।
  • नवजात बच्चे को गोद लेने या छूने से पहले हाथ अच्छे से धोएं।
  • बच्चे को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ले जाने से बचें।
  • कोविड के समय शुरू हुई PCR जांच अब इस वायरस को पकड़ने में बहुत मदद कर रही है, जिससे समय रहते इलाज शुरू हो पा रहा है।

कैसे पहचानें कि बच्चा खतरे में है? (लक्षण)

PGI की डॉ. अनिता सिंह के मुताबिक, माँ-बाप को इन संकेतों पर नज़र रखनी चाहिए:

  1. बच्चे को बहुत तेज खांसी आ रही हो।
  2. सांस लेने में तकलीफ हो या पसलियां चल रही हों।
  3. बच्चा दूध नहीं पी पा रहा हो।
  4. तेज बुखार हो।
  5. बच्चे का रंग पीला, नीला या बैंगनी पड़ रहा हो।

इलाज और वैक्सीन का खर्चा

न्यूनेटोलॉजिस्ट डॉ. आकाश पंडिता बताते हैं कि वैसे तो इसके लिए वैक्सीन मौजूद है जो प्रेग्नेंसी के दौरान माँ को या जन्म के बाद बच्चे को लग सकती है, लेकिन यह काफी महंगी है। इसकी कीमत करीब 20 से 25 हजार रुपये है। इसलिए, 'इलाज से बेहतर बचाव है'। घर में साफ़-सफाई रखें और बीमार लोगों को बच्चे से दूर रखें।