आज के दौर में ऐसी कई बीमारीयां है जिसके कारण लागो को तरह तरह समस्या से जूझना पड़ता है और वहीं कई ऐसे लोग भी है जों इस समस्या से निजात पाने के लिए घर बैठे उपचार चाहतें है लेकिन कैसे क्या है तरीका इसकी जानकारी नहीं होती है।
आपको बतादें कि सिरदर्द, बच्चे, बूढ़े, जवान सभी को होने वाला एक ऐसा रोग है, जो व्यक्ति को चिड़चिड़ा और क्रोधी बना डालता है। सिर दर्द की तीन स्थितियां होती हैं-अस्थायी सिर दर्द, स्थायी सिर दर्द और आधे सिर का दर्द (माइग्रेन)। सिर दर्द का मुख्य कारण पेट की खराबी होता है।
प्रतिदिन गलत और गरिष्ठ भोजन करने से पाचन ठीक से नहीं हो पाता है, तो वह आमाशय में सड़ने लगता है, तब ऐसे में सड़न से उत्पन्न विजातीय पदार्थ शरीर के अंग-प्रत्यंगों को दूषित कर देते हैं। ये विजातीय पदार्थ तंत्रिका तंत्र को भी दूषित कर सिर दर्द और जुकाम आदि के लक्षण उत्पन्न करते हैं।
आंख की कमजोरी, दांतों का विकार, सर्वाइकल, स्पोंडिलाइटिस, उच्च और निम्न रक्तचाप आदि अनेक कारणों से भी सिर दर्द रहने लगता है। अधिक मानसिक श्रम, चिंता, तनाव, अधिक शारीरिक थकान के कारण भी सिर दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है। स्त्रियों को मासिक धर्म की अनियमितता, खून की कमी, रात्रि जागरण आदि के कारण भी सिर दर्द की शिकायत रहने लगती है।
मानसिक तनाव, पेट में गैस बनने, स्नायविक दुर्बलता आदि के कारण सिर में दर्द हो जाता है, जो कभी-कभी दो-तीन दिन तक बना रहता है। पेट में कब्ज, नींद पूरी न होने, थकावट, संक्रामक रोग, जुकाम, फ्लू, ज्वर, चिंता, तेज धूप या गर्मी में काम करने, पेट में कीड़े तथा रक्तचाप आदि के कारण भी सिर दर्द होने लगता है। क्षोभ, निराशा आदि भी सिर दर्द का कारण बन जाते हैं।
प्रारंभ में सिर दर्द हल्का ही होता है, पर धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और दर्द इतना बढ़ जाता है कि आंखों से नींद गायब हो जाती है। कभी-कभी उल्टी भी हो जाती है। आंखों से पानी आने लगता है, दर्द माथे और कनपटियों में होता है।
अपना भोजन हल्का तथा सात्विक रखें। एक-दो दिन के फलाहार से पर्याप्त लाभ मिलता है, क्योंकि सिर दर्द में फलाहार और दूध ही सबसे अधिक अनुकूल भोजन है।
पेट की खराबी की वजह से सिर दर्द की शिकायत हो, तो नीबू के पानी का एनिमा लें। सप्ताह में 2-3 बार कुंजल क्रिया करें।
गरमी के मौसम में सिर तथा गरदन को दिन में 3-4 बार ठंडे पानी से धोएं। इससे नाडी तंत्र शक्तिशाली बनते हैं।
ठंड के मौसम में निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) की वजह से सिर दर्द हो, तो कुनकुना पानी का रीढ़ स्नान तुरंत लाभ पहुंचाता है।
बादाम रोगन को कपाल, माथे तथा गरदन पर पीछे की ओर 15 मिनट तक मलने से सिर दर्द में आराम मिल जाता है।
अगर पेट में कीड़े हों या फिर रक्तचाप हो, तो उसका उपचार करें तथा उपचार की अवधि में पूरा आराम करें।
योगासनों में उष्ट्रासन, मकरासन, हलासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, धनुरासन का सुबह खाली पेट किसी निर्जन व प्राकृतिक स्थान पर बैठकर अभ्यास करें।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) के कारण होने वाले सिर दर्द में ठंडा रीढ़ स्नान अथवा रीढ़ की पट्टी लाभ पहुंचाती है।
सिर पर 5-6 मिनट तक ताजा जल की धार डालने या गरम पांव स्नान से भी सिर दर्द नष्ट होता है। सिर, गरदन तथा पीठ की मालिश, जिसमें ठोकना, थपथपाना तथा कंपन देना है, से सिर दर्द का नाश होता है।
रात में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठकर खुले स्थान पर टहलना, प्राणायाम करना सिर दर्द की विशेष चिकित्सा है।गरदन, पीठ पर पानी की तेज धार छोड़कर 10 मिनट स्नान करने से अत्यधिक लाभ मिलता है।
भोजन भूख के अनुकूल ही करें। सप्ताह में एक दिन केवल फल और दूध पर ही रहें। रात में गाजर व दलिये की खीर भी ले सकते हैं। गरमी के दिनों में सुबह नाश्ते में बादाम रगड़कर बनाई गई ठंडाई भी ले सकते हैं। रात में पके व मीठे आम के साथ ठंडा दूध पीने से भी लाभ मिलता है।
घृतनेति (नाक के दोनों छेदों में शुद्ध देसी घी डालकर सुड़कना) का सप्ताह में तीन-चार प्रयोग करने से सिर दर्द ही नहीं तमाम तरह के सिर के रोग शांत हो जाते हैं।
सर्दी की वजह से सिर दर्द हो, तो साबुत धनिया और मिश्री का काढ़ा बनाकर पिएं। कब्ज उत्पन्न करने वाले भोज्य पदार्थों के सेवन से बचें। तेज धूप या तेज गरमी में कार्य न करें।