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भारत की अध्यक्षता में G20 समिट का सफल आयोजन हुआ है। पूरे विश्व ने भारत का जलवा दिखाया है। इस कार्यक्रम में अमेरिका के प्रेसिडेंट जो बाइडेन, इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी, यूके के पीएम ऋषि, फ्रांस के प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रों समेत दुनिया भर के बड़े बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने ब्राजील के प्रेसिडेंट को जीत की अध्यक्षता का जिम्मा भी सौंप दिया। यानी अब 2024 के अगले समिट में ब्राजील सम्मेलन की मेजबानी करेगा और इसी के साथ दिल्ली शिखर सम्मेलन का समापन हुआ।

जानकारी के मुताबिक, समापन के बाद ऐसा माना जा रहा है कि पूरी दुनिया के लिए तरक्की के नए रास्ते खुल गए हैं। इस सम्मेलन को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया है क्योंकि जिस तरह विश्व के तमाम खेमों के मतभेदों को दूर करके दिल्ली घोषणापत्र सर्वसम्मति से जारी कराने में भारत सफल रहा। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस तरह से हिंदुस्तान ने सबको राजी कराया वो एक तरह से भारत की ताकत दिखाता है। अब चलिए आपको बताते हैं कि इस घोषणा पत्र को भारत की जीत के रूप में आखिर कैसे देखा जा रहा है।

घोषणा पत्र में चार बार हुआ यूक्रेन युद्ध का जिक्र

दरअसल इस घोषणा पत्र पर सहमति बनाने में भारत कामयाब रहा है। इस दौरान यूक्रेन जंग का भी जिक्र हुआ। मगर अमेरिका और यूरोपीय देश नाराज हुए न रूस और चीन। यानी सब एक पेज पर नजर आए। घोषणा पत्र में चार बार यूक्रेन युद्ध का जिक्र किया गया है। वहीं इसमें कहीं भी रूस का जिक्र नहीं था। घोषणा पत्र में यूक्रेन के विरूद्ध जंग की जगह यूक्रेन में जंग शब्द का इस्तेमाल हुआ था। इस घोषणा पत्र में आतंकवाद का नौ बार जिक्र किया गया है। घोषणा पत्र में भारत की ये बात शामिल की गई कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या धमकी देना अस्वीकार्य है। पीएम मोदी ने इस दौरान शांति मंत्र भी दिया।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये युद्ध का काल नहीं है। इसे भी दिल्ली घोषणापत्र में शामिल किया गया है। दिल्ली घोषणा पत्र को विदेशी राजनायिक भी भारत की बड़ी कामयाबी बता रहे हैं। फ्रांस के राजनायिक सूत्रों का कहना है कि भारत ने सबको मानने की शक्ति क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार देर रात ही भारत ने घोषणा पत्र की कॉपी सदस्य देशों को बांटते हुए कहा था कि अगर इस पर सहमति नहीं बनी तो कोई घोषणा पत्र जारी नहीं होगा। इसका नतीजा सबके सामने है। सभी मुल्कों ने एक साथ सहमति जताई और भारत का रुख कारगर साबित हुआ है।

जानें चीन ने क्या कहा

रिपोर्ट के अनुसार, चीनी पीएम ली केकियांग ने रविवार को 98 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र में कहा कि दुनिया बहुत मुश्किल और स्थिर विकास के कठिन दौर से गुजर रही है और जैसे जैसे कठिनाइयां बढती जा रही हैं, आत्मविश्वास को मजबूत करने और भविष्य के लिए उम्मीदों को बढ़ाने की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। मगर उनका कहना है कि सदस्यों की विशिष्ट मामलों से शुरुआत ही करनी चाहिए और वर्तमान में अच्छा करने का प्रयास करना चाहिए।

 

 

 

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