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भारत जिस तरह से देश में सेमीकंडक्टर बनाने और दुनिया का सेमीकंडक्टर हब बनने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है, उसका असर अब दिखाई देने लगा है। वेदांता, फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों के साथ ही अब आईटी सेक्टर की दिग्गज एचसीएल ग्रुप ने भी देश में सेमीकंडक्टर बनाने के लिए प्लानिंग शुरू कर दी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एचसीएल ग्रुप देश की सेमीकंडक्टर स्पेस में एंट्री करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। एचसीएल ग्रुप जल्द ही केंद्र सरकार के पास सेमीकंडक्टर की असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग यानी एटीएम पर यूनिट लगाने के लिए प्रपोजल भेज सकता है। बड़ी बात यह भी है कि एचसीएल की प्लानिंग इस पर 20 से 30 करोड़ डॉलर खर्च करने की है।

कंपनी के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि एचसीएल ग्रुप इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को चलाने वाला है और इसमें एचसीएल टेक की भागीदारी नहीं होगी। गौरतलब है कि एचसीएल टेक ग्रुप की 12.6 अरब डॉलर की आईटी सर्विसेज कंपनी है।

खबरों के मुताबिक एचसीएल सरकार के 10 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर इंसेंटिव प्रोग्राम के एसओपी के लिए अप्लाई करने वाली है। इस स्कीम के तहत केंद्र और राज्य सरकारें देश में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने पर होने वाले कैपिटल एक्सपेंडिचर का 75 पर्सेंट तक का हिस्सा बतौर सब्सिडी देती हैं।

भारत ने किया बड़ा ऐलान

एचसीएल ग्रुप ऐसे वक्त में देश में चिप मैन्युफैक्चरिंग के लिए कमर कस रहा है, जब हाल में अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने का ऐलान किया था। मैकरॉन अगले महीने से गुजरात में अपने प्लांट पर काम शुरू कर देगी। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में 82.5 करोड़ डॉलर का इनवेस्टमेंट करने का ऐलान किया है।

इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार का मकसद भारत दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम तैयार करना है। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत महत्वाकांक्षी सिलिकॉन इंडिया प्रोग्राम लॉन्च किया था। इसके जरिए देश में ही सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। इस प्रोग्राम पर 76 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करना तय माना जा रहा है। सितंबर 2022 में स्कीम को इंडस्ट्री के फीडबैक के आधार पर मॉडिफाई किया गया और इसे मॉडिफाइड सेमी कॉन इंडिया प्रोग्राम के नाम से रीलॉन्च किया गया।

जिस तरह से चीन और अमेरिका के बीच में ट्रेड वॉर चल रही और कोरोना के बाद से दुनिया भर का चीन से भरोसा उठा है। उसमें भारत के लिए सेमीकंडक्टर सेक्टर में बड़ा कारोबारी अवसर पैदा हुआ है। कई ग्लोबल चिप कंपनियां भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाने की तैयारी में हैं।

एचसीएल ग्रुप का फैसला इसी मौके का फायदा उठाने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है। पिछले साल खबर आई थी कि एचसीएल सेमीकंडक्टर वेफर फैब कंपनी एमपी एनालॉग में स्टेक लेने पर विचार कर रही है, जो कि कर्नाटक के मैसूर में 3 अरब डॉलर में एक यूनिट लगा रही है। कुल मिलाकर देश के सेमीकंडक्टर सेक्टर में वेदांता, फॉक्सकॉन और माइकल के बाद अब एचसीएल ग्रुप की भी एंट्री होने वाली है और इससे देश की चिप मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की कोशिशों को बड़ा बूस्टर मिल सकता है।

 

 

 

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